पहली बार मां बनना एक ख़ूबसूरत एहसास है. प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं जैसे, खाने के टेस्ट में, मूड में, बैठने और चलने में. जिसे नींद नहीं भी आती उसे भी भर-भर के नींद आती है. इन चीज़ों के अलावा सबसे बड़ा बदलाव होता है एक औरत के लिए ये कि वो एक मां बन जाती है. कल तक जो एक बे परवाह लड़की थी, उन 9 महीनों के दौरान और उसके बाद एक ऐसी इंसान बन जाती है, जिसे सिर्फ़ अपने बच्चे से मतलब होता है. 

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बच्चे के लिए जागना, उसका खाना-पीना और डायपर तक के बारे में भी वो सोचने लगती है. इसके बाद जब कोई कहता है न कि अरे तुम्हें पता नहीं चल रहा ये क्यों रो रहा/रही है, कैसी मां हो? ये शब्द पूरे 9 महीने के संघर्ष को सामने ला देते हैं.

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मां बनना आसान नहीं होता. इस दौरान बहुत से बदलाव होते हैं जिसे एक औरत, मां बनकर ही महसूस करती है. क्या हैं वो बदलाव आइए जानते हैं? 

1. बच्चे को समझना मुश्किल होता है

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आपको अपने ही बच्चे को समझना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि कभी वो किसी बात के लिए ऐसे रोने लगेगा जैसे पता नहीं क्या हो गया हो? और उसके अगले पल या दूसरे दिन ही इतने शांत की आपको लगेगा कि कोई एंजल हो.

2. कभी-कभी डायपर भी धोखा देता है

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बच्चे को डायपर पहनाने के बाद एक सुकून मिलता है कि अब कपड़े गीले नहीं होंगे तो बार-बार धोने नहीं पड़ेंगे. तभी आप देखती हैं कि उसका डायपर लीक हो रहा है और आपका कम होता हुआ काम एक सेकंड में बढ़ चुका है. उस वक़्त सारे ज़माने का पहाड़ टूट पड़ता है.

3. शादीशुदा ज़िंदगी भी बदल जाती है

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बच्चे को डायपर पहनाने के बाद एक सुकून मिलता है कि अब कपड़े गीले नहीं होंगे तो बार-बार धोने नहीं पड़ेंगे. तभी आप देखती हैं कि उसका डायपर लीक हो रहा है और आपका कम होता हुआ काम एक सेकंड में बढ़ चुका है. उस वक़्त सारे ज़माने का पहाड़ टूट पड़ता है. 

4. ख़ुद पर प्रेशर बहुत आ जाता है

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प्रेग्नेंसी के दौरान ही मांएं बच्चों की समझने की कोशिश करने लगती हैं और जब वो दुनिया में आता है तो सारा टाइम उसी में लगाती हैं. कैसे इसे खिलाना है पिलाना है. मगर जब कोई चीज़ आपके प्लान के मुताबिक़ नहीं होती है तो आपका वो प्रेशर आपको परेशान करने लगता है.

5. दूसरे अपनी राय देते रहते हैं

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बच्चे को कैसे पालना है उसे कैसे कपड़े पहनाने हैं, यहां तक कि उसे गोदी कैसे लेना है? इसकी सलाह भी दूसरे देने लग जाते हैं इस बहती गंगा में हाथ धोने से पड़ोसी भी पीछे नहीं हटते हैं. हद तो तब होती है जब अपने ही बच्चे को पालने के लिए राह चलते लोग भी सलाह देने लगते हैं.

6. आप ‘हां’ और ‘न’ में फंस कर रह जाती हैं

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एक मां बच्चे की ख़्वाहिश के लिए हां और न में ही फंस कर रह जाती है. हर बात पर हां भी करना ठीक नहीं होता और न करने पर उसके चेहरे की उदासी नहीं देखी जाती है. कितना मुश्किल हो जाता है मां के लिए अपने बच्चे के भले के लिए कठोर बनना.

7. मां में बहुत सारे बदलाव आते हैं

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पॉटी और उल्टी इन दोनों से सबको घिन आती है, जो लड़की उल्टी देखकर भाग जाती है. वही मां बनने के बाद बच्चे की हर चीज़ को अपना लेती है. अपने शरीर की, कपड़ों की परवाह किए बिना बस बच्चे में लगी रहती है. उसको साफ़ सुथरा रखने के लिए अपने नए कपड़े भी दे देती है.

8. बच्चे को फ़ीड कराना

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एक मां जब बच्चे को दूध पिलाती है तो वो एहसास हर एहसास से बड़ा होता है. कुछ गर्भवती महिलाओं में समस्या के चलते दूध नहीं बनता है, जिसकी वजह से वो बच्चे को फ़ीड नहीं करा पाती है. ऐसे में उन्हें अपनी कसौटी पर खरा उतरना मुश्किल हो जाता है.

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