30 जून को राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से सावधानी बरतने की अपील की. इसके साथ ही उन सभी लोगों को रोकने का आग्रह किया जो देश की स्थिति को समझ नहीं रहे हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने ‘ग़रीब कल्याण योजना’ के तहत ग़रीबों को नवंबर तक मुफ़्त राशन देने की भी घोषणा की.
‘जो लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, हमें उन्हें टोकना होगा, रोकना होगा और समझाना भी होगा’.
Every teacher in Parents Teacher Meeting to Our Parents😐#NarendraModi
— Aarvii (@KaafiZiddiHu) June 30, 2020
😂😭 pic.twitter.com/npTa4y1zOc
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद ही उनके कहे शब्दों पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रयाएं देनी शुरू कीं. मगर सोचने वाली बात ये है कि सिर्फ़ जनता ही क्यों, बल्कि सरकार को भी कुछ बातों को लेकर सावधान होना होगा और सरकार को ऐसा करने से रोकना भी होगा.
ये रहीं वो बातें:
अक्टूबर 2018 में भारत ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. 182 मीटर लंबे इस स्टेचू की क़ीमत राज्य में 3000 करोड़ रुपये से अधिक है और ऐसी और भी मूर्तियों की योजना बनाई जा रही है.

भारत में पुलिस की बर्बरता के मामले बढ़ रहे हैं. हाल ही में तमिलनाडु में जयराज और बेनिक्स की पुलिस हिरासत में मौत होने से लोगों में भारी आक्रोश देखा गया. साल 2019 में भारत में पुलिस हिरासत में 1731 मौतें हुई थीं यानि रोज़ाना 5 मौतें.

Amnesty International की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 65% अपराध दलितों के ख़िलाफ़ होते हैं.

सड़क, रेलवे और उद्योगों जैसी विकास परियोजनाओं के नाम वन्यजीवों पर क्रूरता की जाती है और इनमें से किसी को भी न्याय नहीं मिलता है.

फरवरी 2020 में भारत की बेरोज़गारी दर 7.78% दर्ज़ की गई थी.

न सिर पर छत, न खाना और न ही पानी आजीविका का कोई साधन नहीं होने के कारण लाखों प्रवासी श्रमिकों को कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान पैदल यात्रा करनी पड़ी. इनमें से कितने मज़दूरों ने तो दुर्घटनाओं और भूख से अपनी जान गंवा दी.

हाल ही में भारत में बैंकों ने तकनीकी रूप से 68,000 करोड़ के सबसे बड़े डिफ़ॉल्टरों के लोन को बंद कर दिया.

बीजेपी ने पिछले महीने बिहार चुनावों के लिए एक कैंपेन शुरू किया, जिसमें अनुमानित 144 करोड़ रुपये ख़र्च किये गए.

जामिया विश्वविद्यालय से लेकर जेएनयू तक हाल के दिनों में छात्रों के ख़िलाफ़ हिंसा के कई मामले सामने आए हैं.

2018 में यौन हिंसा के बढ़ते मामलों के आधार पर भारत को महिलाओं के लिए सबसे ख़तरनाक देश के रूप में स्थान मिला.

पिछले साल सरकार ने एक सत्र में 12 बिलों को पारित किया. ये 15 सालों में एक सत्र में पारित बिलों की सबसे अधिक संख्या थी.

विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम सरकार द्वारा पिछले साल संवैधानिक नीतियों को दरकिनार कर पारित किया गया था.

बीएमसी ने मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे जंगल में 2,646 पेड़ गिराने का फ़ैसला किया.

भारत में भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर अपमान और उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में सबसे ज़्यादा इंटरनेट बंद किया जाता है.

2018 में यूपी सरकार ने कम से कम 25 स्थानों के नाम बदल दिए. इस साल भी, तमिलनाडु सरकार ने राज्य में 1,018 स्थानों का नाम बदले.

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय श्रम शक्ति में लिंग अंतर 50% से अधिक है. इसके अलावा, ये तथ्य है कि PMO द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण चर्चाओं में महिलाओं की उपस्थिति बहुत कम है.

ख़बरों के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान विभिन्न पत्रकारों के ख़िलाफ़ 22 FIR दर्ज की गईं.

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