Humans Of Bombay की ये कहानी बताती है कि ‘मां’ भी एक इंसान है उन्हें भी चीज़ों को समझने में वक़्त लग सकता है. उन्हें भी दिल की बात बतानी ज़रूरी होती है, जो लोग कहते हैं न मां हो नहीं समझती, उनको ज़रूर पढ़नी चाहिए ये कहानी.  

‘मैं एक दिन बैठी थी तभी अचानक मेरे मोबाइल पर मेरे बड़े बेटे ने एक वीडियो भेजा. वो वीडियो मेरे छोटे बेटे Balaji का था. जो TEDx में स्पीच दे रहा था. उस वीडियो में वो अपने दुख और दर्द को बता रहा था कि किस तरह से वो सालों से संघर्ष कर रहा है.  

उसकी स्पीच में जिस बात ने मुझे हिला दिया, वो ये थी कि वो गे है. उस बात को उसने वहां बैठे हज़ारों लोगों के सामने स्वीकार किया. मुझे भी ये बात उसी दिन पता चली और मैंने बिना कुछ सोचे उसे कॉल कर दिया. जैसे ही उसने मेरा कॉल पिक किया मैं रोने लगी. क्योंकि उसे जब सबसे ज़्यादा मेरी ज़रूरत थी, मैं नहीं थी उसके साथ. इसलिए मैंने सिर्फ़ इतना कहा कि बेटा मैं तेरे साथ हूं, कोई कुछ भी सोचे, तेरे हर फ़ैसले में मैं तेरे साथ हूं. मेरी इस बात पर उसके चेहरे पर जो ख़ुशी आई उसे मैंने महसूस किया. और उसने बोला कि उसे सिर्फ़ यही सुनना था.

मेरा बेटा मुझसे दूर दूसरे शहर में रहता है. तो जब मैं इस बातचीत के बाद मिली तो मैंने उसे कांजीवरम साड़ी गिफ़्ट की. क्योंकि उस दिन की स्पीच में उसने बोला था कि उसे साड़ी पहनना पसंद है. मेरा गिफ़्ट देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए. 

मुझे लगता है कि कभी-कभी पेरेंट्स भूल जाते हैं कि बच्चों को उनके सपोर्ट की ज़रूरत होती है. हम सिर्फ़ इस समाज की दकियानूसी सोच से डरते हैं और इस वजह से हम अपने बच्चों की ख़ुशी भूल जाते हैं. तो मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता मेरा बेटा क्या पहनता है वो गे है या नहीं. किसी भी वजह से मैं उसे अकेला नहीं छोड़ूंगी. पूरे दिल से मैं उसके साथ हूं, वो मेरा बेटा, मेरा गर्व है. 

इनकी तरह आप भी अपने बच्चे को अपनाएं भले ही वो लड़का हो, लड़की हो या फिर गे हो?

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