हाल ही में तमिल राजनीति की बड़ी शख़्सियत और अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता का निधन हो गया. जयललिता का निधन कार्यकाल के दौरान ही हुआ. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जयललिता सिर्फ़ अकेली शख़्सियत नहीं हैं, जिनकी सत्ता में रहते हुए मौत हुई है. अगर इतिहास पर नज़र दौड़ाएंगे, तो आपको इससे पहले भी ऐसे कई मुख्यमंत्री मिल जाएंगे, जिनका निधन अपने कार्यकाल के दौरान ही हुआ है. यह फेहरिस्त काफ़ी लंबी है, जिनमें देश के अलग-अलग राज्यों के 16 मुख्यमंत्री शामिल हैं.
तो चलिए अपने सामान्य ज्ञान को थोड़ा बढ़ाते हैं और इतिहास पर नज़र दौड़ाते हुए जानते हैं कि अब तक किन-किन मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल के दौरान निधन हुआ है.
1. मुफ़्ती मोहम्मद सईद, जम्मू-कश्मीर (7 जनवरी, 2016)
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे मुफ़्ती मोहम्मद सईद का निधन शरीर के कई अंग खराब हो जाने के कारण 7 जनवरी 2016 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ था. वे पीडीपी के संस्थापक भी थे. सईद दो बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे, जबकि दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक वे देश के गृहमंत्री भी रह चुके हैं. इनकी भी मौत बीमारी से लंबे समय तक जुझने के दौरान हुई.
2. दोरजी खांडू, अरुणाचल प्रदेश (30 अप्रैल, 2011)
दोरजी खांडू अरुणाचल प्रदेश के छठे मुख्यमंत्री थे. 30 अप्रैल 2011 को सेला पास के करीब उनका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें उनकी मौत हो गई. पांच दिन बाद भारत-चीन सीमा पर उनके अवशेष मिले थे. 9 अप्रैल 2007 को उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी. साल 2009 में वे दूसरी बार भी मुख्यमंत्री बने थे. दोरजी खांडू ने भारतीय सेना के इंटेलिजेंस कॉर्प में भी करीब 7 साल तक काम किया था.
3. YSR रेड्डि, आन्ध्र प्रदेश (2 सितंबर, 2009)
दक्षिण भारत की राजनीतिक गलियारों में YSR के नाम से मशहूर येदुगुरी संदिन्ती राजशेखर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. वे जब दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की सेवा कर रहे थे, तब 2 सितंबर 2009 को उनकी मौत हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हो गई. ऐसा कहा जाता है कि वो हमेशा ही चुनाव जीतने के लिए मशहूर थे.
4. बेअंत सिंह, पंजाब (31 अगस्त, 1995)
कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता बेअंत सिंह पंजाब के मुंख्यमंत्री थे. साल 1992 में मुख्यमंत्री बने बेअंत सिंह 31 अगस्त 1995 को एक आत्मघाती हमले में मारे गए. हमलावार ने चंडीगढ़ के सचिवालय परिसर में धमाका कर दिया था, जिसमें बेअंत सिंह का निधन हो गया. कहा जाता है कि इस हमले में 17 लोगों की मौत हुई थी.
5. गोपीनाथ बोरदोली, असम (6 अगस्त, 1950)
अविभाजित असम राज्य के प्रमुख के रूप में सेवा देने के बाद भारत सरकार से मान्यता प्राप्त होने के बाद भी असम के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य की सेवा की. 1950 में उन्होंने राज्य के सत्ता की कमान संभाली और अत्यंत छोटे अंतराल के बाद ही उनकी मृत्यु हो गई.
6. एमजी रामचंद्रन, तमिलनाडु, (24 दिसंबर, 1987)
मरुदुर गोपालन रामचन्द्रन अभिनेता, निर्देशक, निर्माता के साथ-साथ एक सफ़ल राजनेता भी थे. जयललिता की मौत के बाद जिस तरह से कहा जा रहा है कि तमिलनाडु की राजनीति में एक युग का अंत हो गया, रामचंद्रन की मौत के समय भी ऐसा ही कहा जा रहा था. एमजीआर के नाम से मशहूर रामचंद्रन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे. उनका निधन 24 दिसंबर 1987 को मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हुआ था. उनकी मौत के बाद ही जयललिता के हाथों में उनकी राजनीतिक सियासत की कमान आई थी.
7. चिमनभाई पटेल, गुजरात (17 फरवरी, 1994)
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल की मौत अहमदाबाद में हार्ट फेल हो जाने से हुई थी. इनकी जब सरकार थी, तब जयप्रकाश नारायण के बिहार आंदोलन से प्रेरित होकर गुजरात में छात्रों ने भी चिमनभाई के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था. चिमनभाई के निधन के बाद कांग्रेस नेता छबिलदास मेहता को दो दिन के भीतर अंतरिम मुख्यमंत्री की शपथ दिलवाई गई थी.
8. शेख अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर, (8 सितंबर, 1982)
जम्मू-कश्मीर के क्रांतिकारी नेता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख़ अब्दुल्ला अपनी आखिरी सांस लेने से पहले लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्या से जूझते रहे. उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, फिर भी उनके समर्थकों ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाए रखा. जब इनकी मौत हुई, उनके शव को राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर लगभग 8 घंटे से अधिक समय में 10 किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर दफ़नाया गया. आज इस पार्टी की कमान उमर अब्दुल्ला के हाथों में है.
9. बरकतुल्लाह ख़ान, राजस्थान, (11 अक्टूबर, 1973)
53 साल की उम्र में बरकतुल्लाह ख़ान की मौत जयपुर में हार्ट अटैक के कारण हुई थी. बरकतुल्लाह को राजस्थान के पहले मुस्लिम मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है. 1971 के आम चुनाव के बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना था.
10. दयानंद बंदोडकर, गोवा (12 अगस्त, 1973)
पुर्तगाली साम्राज्य से आज़ाद होन के बाद गोवा का विलय भारत में हुआ, जिसके बाद दयानंद बंदोडकर राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने. मरने से पहले दयानंद तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के संस्थापक रह चुके दयानंद ने एक बार गोवा को महाराष्ट्र में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव के बाद विपक्ष से लेकर गोवा के आम नागरिकों तक ने इसका विरोध किया था और संसद में इनके खिलाफ़ वोट किया था.
11. सीएन अन्नादुरई, तमिलनाडु (3 फरवरी, 1969)
डीएमके अर्थात Dravida Munnetra Kazhagam के संस्थापक अन्नादुरई द्रविड़ियन पार्टी के पहले ऐसे शख़्स थे, जो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे थे. देश की राजनीति में उथल-पुथल पैदा करने वाला यह राजनेता मात्र 2 साल ही मुख्यमंत्री पद पर रह पाया. मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सी.एन. अन्नादुराई का निधन 3 फरवरी 1969 को चेन्नई में हो गया. कहा जाता है कि उनके अंतिम संस्कार में 10 लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए थे. शायद इसीलिए शवयात्रा में उमड़े इतने बड़े जन सैलाब के कारण इसे गिनीज़ बुक रिकॉर्ड में शामिल किया गया था.
12. बलवंत राय मेहता, गुजरात (19 सितंबर, 1965)
बलवंत राय मेहता गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिनका कार्यकाल फरवरी 1963 से लकर सितंबर 1965 तक रहा. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सीविलियन एयरक्राफ़्ट पर पाकिस्तानी हमले में उनकी मौत हो गई थी. उस एयरक्राफ़्ट में सवार मेहता, उनकी पत्नी, दो पत्रकार और दो पायलट सहित कई लोगों की मौत हो गई थी.
13. Marotrao Kannamwar, (महाराष्ट्र, 24 नवंबर, 1963)
साल 1962 में विधान सभा चुनाव के बाद Marotrao Kannamwar को महाराष्ट्र के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था. ये Saoli विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आए थे. इनका भी निधन कार्यकाल के दौरान ही हो गया था.
14. बिधान चंद्र रॉय, पश्चिम बंगाल, (1 जुलाई, 1962)
साल 1948 में पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे बिधान चंद्र रॉय. 1962 में मरने से पहले उन्होंने लगातार 14 सालों तक राज्य की सेवा की. वे काफ़ी मशहूर फिजिशियन और स्वतंत्रता सेनानी थे. भारत में हर साल उनके जन्मदिन को National Doctors’ Day के रूप में मनाया जाता है. सौभाग्य से उनका जन्मदिन और उनकी पुण्यतिथि दोनों एक ही दिन आता है. उन्हें भारत रत्न से भी नवाज़ा जा चुका है.
15. श्री कृष्ण सिंह, बिहार, (31 जनवरी, 1961)
बिहार केसरी के नाम से मशहूर श्री कृष्ण सिंह को बिहार के पहले मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है. ये भारत के ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने ज़मीनदारी प्रथा को समाप्त किया था. इन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्यों से एक नए और आधुनिक बिहार का निर्माण किया था. वे काफ़ी लंबे वक़्त तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे.
16. रविशंकर शुक्ला, मध्य प्रदेश (31 दिसंबर, 1956)
मध्य प्रदेश राज्य बनने के बाद रविशंकर शुक्ला राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, बतौर मुख्यमंत्री उनका कार्यकाल काफ़ी छोटा रहा. उन्होंने मान्यता प्राप्त राज्य मध्य प्रदेश की कुर्सी 1 नवंबर 1956 को संभाली थी. लेकिन तुरंत ही 31 दिसंबर 1956 को उनका देहांत हो गया. इससे पहले वे 15 अगस्त 1947 से 31 अक्टूबर 1956 तक सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री भी रहे थे.