‘गया गया गया’ इस शब्द का ट्रांसलेशन तो सभी ने बनाया होगा. बचपन से लेकर पचपन तक के लोगों को यह बात जरूर याद होगी. वैसे तो गया में कई सारी चीज़ें प्रसिद्ध हैं, लेकिन हम आपको कुछ अलग बताने जा रहे हैं. दालान में बैठे बुजु़र्गों के अनुसार, गया में तीन बातें महत्वपूर्ण हैं- ‘बिना पेड़ का पहाड़, बिना पानी के नदी, और बिना दिमाग के इंसान (पागल और सनकी).’ गया को धार्मिक नगरी कहा जाता है, तो बदमाशों की टपरी भी. आप भी सोच रहे होंगे कि ये ‘गया गुजरा’ आदमी ‘गया’ के बारे में ऐसी बातें क्यों कर रहा है? ख़ैर, हम (मैं नहीं हम से प्रेरित होकर) आपको भगवान बुद्ध की धरती गया के बारे में ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें जान कर आप इतने उत्साहित होंगे, इतने उत्साहित होंगे कि आप सीधे गया घूमने आ जाएंगे.

कैसे अस्तित्व में आया गया

राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और पर्यटन के लिहाज से गया बिहार का ही नहीं, देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पुराणों के अनुसार ‘गयासुर’ नाम के राक्षस से गया का नाम पड़ा. आस-पास के लोग गया के बारे में बताते हैं कि, गयासुर को भगवान विष्णु ने वरदान दिया था कि अगर कोई उसे छूता है तो सीधे वैकुंठलोक जाएगा. इस कारण देवलोक में हलचल मच गई थी.

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भटकती आत्माओं का मुक्तिस्थल है गया

ऐसा माना जाता है कि गया में लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए देश-विदेश के लोग गया आ कर पिंड दान करते हैं. इस वजह से गया को भटकती आत्माओं का मुक्ति-स्थल भी कहा जाता है.

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धार्मिक नगरी है गया

बनारस के बाद गया एक ऐसा शहर है, जिसकी पहचान धार्मिक नगरी के रूप में की जाती है. यहां हिन्दू, बौद्ध और मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं.

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बोध गया

विश्व विख्यात बोध गया किसी पहचान का मोहताज नहीं है. शहर से 17 किमी दूर बोध गया स्थित है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. देखा जाए तो दुनिया-भर के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक पवित्र शहर है.

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विष्णु पद मंदिर

दंतकथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के पांव के निशान पर विष्णु पद मंदिर बनाया गया था. रोज़ हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं.

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जामा मस्जिद

गया में स्थित 200 साल पुरानी जामा मस्जिद, बिहार की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. मुसलमानों के लिए भी ये शहर एक महत्वपूर्ण स्थल है. हज़ारों लोग इसमें एक-साथ नमाज अदा करते हैं.

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पर्यटकों की फेवरेट जगह है गया

आंकड़ों पर ग़ौर करें तो पता चलता है कि गोवा के बाद गया एक ऐसी जगह है, जहां पर्यटक आते हैं. कई धार्मिक स्थलों की वजह से लोग इस जगह को ख़ूब पसंद करते हैं.

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शानदार, ज़िंदाबाद और जबर्जस्त हई गया

आप शायद इस डायलॉग से तो वाकिफ़ होंगे ही. दरअसल, गया को बाबा दशरथ मांझी के गृह स्थल के रूप में भी जाना जाता है. दशरथ मांझी को प्यार के परमात्मा के रूप में भी देखा जाता है. पत्नी की याद में इन्होंने 90 फीट पहाड़ को अकेले तोड़ दिया.

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आज़ादी में भी योगदान रहा इस शहर का

भारतीय स्वतंत्रता के लिहाज से गया एक प्रमुख केंद्र रहा है. 1922 में कांग्रेस का 38वां वार्षिक अधिवेशन यहां  हुआ था. इस अधिवेशन के अध्यक्ष देशबंधु चितरंजन दास थे.

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बिहार और झारखंड का एकमात्र International Airport गया में

आप जान कर हैरान हो जाएंगे कि गया में बिहार और झारखंड का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो सीधे थाईलैंड और हज यात्रा के लिए है. आने वाले दिनों में इसकी और सेवाएं बढ़ने की संभावना है.

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मगही और तिलकुट इस जगह की पहचान है

गया जाने के बाद आपको हर गली में, हर चौक पर तिलकुट देखने को मिल जाएगा. यहां के लोगों की बोली मगही है, जो भोजपुरी की जननी है.

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माओवादियों का गढ़ है गया

एक ओर गया को हम धार्मिक नगरी कहते हैं, तो दूसरी ओर गया देश की सबसे ख़तरनाक जगहों में से एक है. सरकार के अलावा माओवादियों की भी यहां तूती चलती है. आए दिन ऐसी घटनाएं घटती रहती हैं, जिन्हें सुन कर हमारा दिल दहल जाता है.

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IITian का अड्डा है गया

बिहार में गया की साक्षरता दर 76 फीसदी है, इस कारण राज्य में साक्षरता के मामले में ये जगह सबसे आगे है. गया शहर से 7 किमी दूर पटवा टोली  नाम का एक स्थान है. बिहार में सबसे ज़्यादा इसी जगह के बच्चे IIT में दाखिला लेते हैं.

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बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री गया से

जीतन राम मांझी बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हुए, जो दलित हैं. इस शहर को अपने मुख्यमंत्री पर नाज़ है.

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कई जिलों का जनक है गया

बिहार में गया एक ऐसा जिला है, जिसके खंड करके कई जिले बने हैं. गया से टूट कर नवादा, नालंदा, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल जैसे जिले बने हैं.

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गया की पहचान अंतर्राष्ट्रीय पटल पर है. धर्म, राजनीति और अपराध इस जगह की पहचान हैं. पर्यटन के हिसाब से यह जगह बहुत ही बढ़िया है.