अब वो दौड़ा नहीं करती

ऐसा नहीं कि उसे दौड़ना पसंद नहीं,

बचपन में वो खूब दौड़ा करती थी

कभी जूतों में, कभी नंगे पांव.

दौड़ते-दौड़ते जब उसके कपड़े

पसीने से लथपथ हो जाया करते थे,

तो सड़क किनारे वाले पेड़ के पास

थोड़ा आराम भी कर लेती थी.

बहुत बार उसने दौड़ में बड़े भइया 

और पापा को पीछे छोड़ा था.

कई बार दौड़ते-दौड़ते,

जब कभी वो गिर जाती, तो रोने लगती.

पर पापा आते

और उसे उठाते

फिर उसके कपड़ों से मिट्टी झाड़ कर,

कोहनी की चोट पर फूंक मार कर

फिर दौड़ने के लिए कहते.

पर अब वो दौड़ा नहीं करती,

क्योंकि अब पापा उसके साथ

दौड़ा नहीं करते.

मम्मी से उसने कई बार कहा कि

“उसे दौड़ना पसंद है”,

वो फिर से नंगे पांव

सड़क, पर खेत की पगडंडियों पर

दौड़ना चाहती है.

पर भइया कहते हैं कि,

उसका दौड़ना अब

उन्हें पसंद नहीं.

उसके दौड़ने से

सब उसके स्तनों की तरफ घूरने लगते हैं

जब कभी वो पसीने से भीग जाती है,

तो सब उसकी शर्ट में से

झांकतें जिस्म की तरफ देखने लगते हैं.

इसलिए उन्हें, उसका दौड़ना पसंद नहीं.

उसे दौड़ना पसंद है

पर अब वो दौड़ा नहीं करती…

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