अगर आपको याद हो, तो ज़रा स्कूल के दिनों के पन्ने पलट कर देखें. खासकर कक्षा में पढ़ाए जाने वाला जीव विज्ञान विषय. जब जीव विज्ञान की कक्षा में प्रजनन चैप्टर पढ़ाया जाता था, तो हम इस टॉपिक को लेकर कितने उत्सुक हुआ करते थे. जानने के लिए, समझने के लिए कि आखिर बच्चे पैदा कैसे होते हैं? प्रजनन क्रिया होती कैसे है? लेकिन आज हम कई माध्यमों से जान गये हैं. आज इंटरनेट के ज़माने में सब कुछ जानना संभव हो गया है. लेकिन ज़रा सोचिये, आज से कई दशक पहले जब सेक्स शब्द शर्म की बात होती थी, उस समय के लोग सेक्स पर बात करना तक पाप समझते थे. तो इस बारे में उस वक़्त लोग कैसे जानते होंगे और समझते होंगे? लेकिन धीरे-धीरे ऐसा समय आया, जब वैज्ञानिक तौर पर सेक्स पर चर्चा की गई.

आज हमारे पास एक ऐसी ही ग्राफिक सेक्स एजुकेशन बुक हाथ लगी है, जो 1960 के दशक की है, जिसका नाम है- ‘How Babies Are Made’. मतलब बच्चे कैसे पैदा होते हैं. उस ज़माने में जब सेक्स टॉक शर्म की बात होती थी, तो इसी ग्राफिक किताब के माध्यम से बच्चे समझा करते थे. इस किताब में कम शब्दों और सिर्फ़ तस्वीरों के माध्यम से इस बारे में समझाया गया है. गौरतलब है कि इसका प्रकाशन 1968 में Time Life द्वारा किया गया था. तो चलिए देखते हैं कि आखिर कैसे इस किताब ने समझाया है कि बच्चे पैदा कैसे होते हैं.

इस किताब के हर चित्र पर गहराई से नज़र रखिये… आपको भी सब समझ आ जाएगा

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प्रजनन प्रक्रिया को समझाने के लिए इन्होंने सबसे पहले पौधों में प्रजनन के प्रदर्शन से शुरूआत की है.

पौधों के बाद अब पशुओं में प्रजनन क्रिया का वर्णन किया गया है. इस प्रक्रिया को किताब ने चित्र के माध्यम से काफ़ी सुंदरता से दर्शाया है.

इसमें समझाने की कोशिश की गई है कि मुर्गी के शरीर में स्पर्म को डालने के लिए मुर्गा उस पर चढ़ता है और उसके साथ संबंध बनाता है. जिससे मुर्गे का स्पर्म मुर्गी के भीतर चला जाता है.

अब कुत्तों में सिलसिलेवार ढंग से प्रजनन को दर्शाया है.

पौधौं और जानवरों में दिखाने के बाद यह बुक इंसानों में प्रजनन प्रक्रिया पर आती है. इसे इतनी सहजता से दिखाया गया है कि एक छोटा-सा बच्चा भी आसानी से समझ ले.

किताब के मुताबिक, शुक्राणु नर के अंडकोष से आते हैं और उसके लिंग के माध्यम से मादा में भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में नर और मादा एक विशेष संबंध स्थापित करते हैं और इसे काफ़ी व्यक्तिगत रखते हैं, जैसा पौधों और जानवरों में देखने को नहीं मिलता.

अब यहां देखिये, आखिर बच्चे कैसे पैदा होते हैं.

तो आपने देख लिया न? आखिर 60 के दशक की इस किताब ने हमें सिखाया है कि कैसे हम अपने बच्चे को बिना किसी शर्म और झिझक के सेक्स शिक्षा दे सकते हैं. इसे काफ़ी सहज़ तरीके से समझाया गया है. सच में उस समय सेक्स शिक्षा के लिए यह किताब काफ़ी कारगर रही होगी. अगर मेरी बात मानी जाए, तो भारत में अभी भी बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां सेक्स शिक्षा लोग अपराध मानते हैं, इस तरह की किताबें उनके लिए बेहद कारगर साबित हो सकती हैं.