युगों-युगांतर से ऐसा माना जाता है कि जीवन में सफ़लता पाने के लिए कर्म ही सबसे पहला और बड़ा रास्ता है. इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि इंसान को फल की इच्छा किये बगैर कर्म करना चाहिए. याद रहे, ज़िंदगी तनाव, दुखों और परेशानियों से तभी तक भरी है, जब तक आप ज़िंदगी के मूल को समझ नहीं लेते. ये बात भी सच है कि अब लोगों को लगने लगा है कि इस जीवन का कोई मोल नहीं और ये निरर्थक है. शायद इसीलिए वे ज्ञान की सारी बातें भूल और कर्म के पथ से भटक कर ऐसे बहुत से निरर्थक कर्म करने लगते हैं, जो उनकी ज़िंदगी के लिए परेशानियों का सबब बन जाता है.

अगर सच में आप अपने जीवन को सफ़ल बनाना चाहते हैं और ज़िंदगी को बिना किसी तनाव और परेशानी से जीना चाहते हैं, तो एक बार भगवान कृष्ण के इन विचारों पर खुद विचार कीजिए और अपना कर देखिये. जीवन सफ़ल और एकदम आनंदमय हो जाएगा.

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