सन् 1583 में आमेर के राजा भगवंत सिंह दास ने बनवाया था. ये क़िला राजस्थान के अलवर में है. इस क़िले को भूतहा क़िला माना जाता है. इस क़िले में जो भी जाता है उनके साथ कुछ न कुछ ज़रूर होता ही है. मैं तो नहीं गई, लेकिन मेरी दोस्त अपनी फ़ैमिली के साथ गई थी.

medium

वो सब अपनी गाड़ी से गए थे. जब क़िले में पहुंचे तो गाड़ी में पानी की बोतल रह गई. क़िला बहुत बड़ी है तो बिना पानी के चलना थोड़ा मुश्किल हो जाता. उसका भाई गाड़ी से बोतल लेने गया. उसने गाड़ी खोली और बोतल लेने लगा. गाड़ी आपने आप लॉक हो गई. चाबी उसके पास थी उसने खोलने की बहुत कोशिश की. सबको फ़ोन भी लगाया, लेकिन उसके फ़ोन में किसी तरह की भी आवाज़ नहीं आ रही थी. पूरा सन्नाटा हो रखा था. गाड़ी थोड़ी-थोड़ी हिलने भी लगी. वो काफ़ी डर गया.

pinterest

बहुत देर तक नहीं आया, तो सब गए. वो लोग जैसे ही पहुंचे सारा माहौल नॉर्मल हो गया. गाड़ी भी खुल गई. फ़ोन भी लगने लगा. उसने पूरी घटना अपनी फ़ैमिली को बताई. उन लोगों ने शाम होने का भी इंतज़ार नहीं किया और सब लोग उसी वक़्त वापस लौट गए.

budgetwayfarers

कहते हैं न कि वहां 5 बजे के बाद किसी को रुकने नहीं दिया जाता क्योंकि 5 बजे के बाद वहां पर ऊपरी शक्तियों का एहसास होने लगता है. वैसे तो इस क़िले से कई कहानियां जुड़ी हैं, लेकिन जो मुख्य कहानी है वो एक राजकुमारी और तांत्रिक की है, जिसकी वजह से ये क़िला भुतहा क़िला हो गया है.

makemytrip

इस क़िले की राजुमारी रत्नावती बहुत ही ख़ूबसूरत थी, जिनके रूप का दीवाना एक तांत्रिक हो गया था. वो जब बाज़ार में इत्र ले रही थीं, तभी वो उन्हें देख रहा था. वो उन्हें हासिल करना चाहता था, तो उसने उस इत्र में काला जादू कर दिया, लेकिन राजकुमारी को इस बात का पता चल गया और उसने वो बोतल फोड़ दी. वो बोतल पत्थर से टकराई और उस पत्थर में वो काला जादू हो गया. इसके बाद वो पत्थर तांत्रिक के पीछे हो गया और उसे कुचल दिया. मरते-मरते तांत्रिक ने श्राप दिया कि इस क़िले में रहने वाले सभी लोग जल्दी ही मर जाएंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे और ताउम्र उनकी आत्मांएं इस क़िले में भटकती रहेंगी. बस तभी से ये क़िला भूतिया घटनाओं से भर चुका है.

theculturetrip

अगर आपके साथ भी इस क़िले में कुछ अजीब सा हुआ है तो हमें ज़रूर बताइएगा.

Life से जुड़े आर्टिकल ScoopwhoopHindi पर पढ़ें.