कुछ साल पहले प्रदूषण के मामले में चीन का वैसा ही हाल था जो आज हमारे देश का है. उस वक़्त चीन के 90 फ़ीसदी शहरों की आबो-हवा इतनी प्रदूषित हो गई थी कि स्मोग की चादर में वहां आसमान भी नहीं दिखाई देता था. लेकिन चीन ने पिछले कुछ सालों में प्रदूषण के ख़िलाफ योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई लड़ी है, वो भी युद्ध स्तर वाली. इसके चलते चीन पिछले 6 सालों में 35 फ़ीसदी तक प्रदूषण का स्तर कम करने में कामयाब रहा है.

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चीन ने प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनसे सबक लेकर भारत भी अपने यहां पर लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को कम कर सकता है. 

 उद्योग को शहर से बाहर का रास्ता दिखाया

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2013 में चीन की सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक एक्शन प्लान बनाया. इसके तहत उन्होंने महानगरों में बनी हेवी इंडस्ट्रीज़ को शहर से बाहर लगाने के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहित किया. साथ ही शहरों चल रहे कारखानों पर कई तरह के कर भी लगाए.  

ऊर्जा के वैकल्पिक सोर्स का इस्तेमाल शुरू किया 

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चीनी सरकार ने कोयले की जगह ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया. उसने अधिक से अधिक पनबिजली, परमाणु और सीएनजी गैस से ऊर्जा बनाने के संयंत्र लगाए. 2017 में उसने दुनिया के सबसे बड़े तैरते हुए सौर ऊर्जा संयंत्र को भी बनाने में कामयाबी हासिल की.

अधिक पेड़ लगाना 

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प्रदूषण से लड़ने के लिए चीन की सरकार ने वृक्षारोपण का भी सहारा लिया. उन्होंने लक्ष्य बनाया कि 2020 तक चीन में वनों की संख्या को 25 फ़ीसदी तक बढ़ाना है. इस योजना को उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया. एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने 2013-2018 तक नए जंगल की संख्या बढ़ाने के लिए लगभग 45 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं.

वाहनों की संख्या को कंट्रोल किया 

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वहां की सरकार ने शहरों में नई कार के उत्पादन और उनकी ब्रिकी पर काफ़ी कंट्रोल किया, ख़ासकर बीजिंग में. साथ ही उन्होंने कार निर्माताओं को इलेक्ट्रिक कार/वाहन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

वेस्ट मैनेजमेंट 

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उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट करके भी प्रदूषण के स्तर में कमी लाने का काम किया है. चीन ने घर से निकलने वाले गीले कूड़े को खाद के रूप में इस्तेमाल किया. इसे वो शहर के बाहर बने कॉकरोच के फ़ार्म में उनके भोजन के रूप में प्रयोग करने लगे. कॉकरोच का प्रयोग वहां बड़े पैमाने पर दवाइयां बनाने में किया जाता है.

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इन सभी कदमों की बदौलत पिछले 6 वर्षों में चीन PM 2.5 के स्तर में लगभग 35 फ़ीसदी की कमी लाने में कामयाब रहा है. इस तरह वो अपने नागरिकों की लाइफ़ भी बढ़ा रहा है. हमें भी चीन से सबक लेकर प्रदूषण के खिलाफ़ इस तरह से ही जंग लड़नी होगी. वरना आगे जो होगा उसके ज़िम्मेदार हम ही होंगे.

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