रियल लाइफ़ की कुछ कहानियां कभी-कभी रील लाइफ़ की कहानियों सी लगती हैं. एक ऐसा ही वाक़या बीते शनिवार भी हुआ. किस्सा तमिलनाडु का है, जहां एक शख़्स को 41 साल बाद अपनी मां से मिलने का मौका मिला. 43 वर्षीय डेविड नील्सन अपनी मां से मिलते ही रो पड़. वहीं धनलक्ष्मी से भी उसकी भावनाएं संभाली नहीं गईं और उनकी आंखों से आंसू झलक गये. मां-बेटे का ये मिलन सभी को भावुक कर देने वाला क्षण था. 

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मां-बेटे के बीच इतने सालों तक क्यों रहा फ़ासला? 

घर के ख़राब हालातों की वजह से धनलक्ष्मी ने डेविड नील्सन को एक शेल्टर होम में रख दिया था. वहीं जब कुछ समय बाद वो शेल्टर होम पहुंची, तो उन्हें पता चला कि उनके बेटे को डेनमार्क के एक परिवार ने गोद ले लिया है. 1976 में आरएसआरएम अस्पताल में जन्मे डेविड नील्सन उस वक़्त दो साल के थे. 

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वहीं बेटे की याद के तौर पर धनलक्ष्मी के पास उनके बेटे की वो तस्वीर थी, जो डेनमार्क से डेविड को गोद लेने वाले दंपति ने शेल्टर होम के अधिकारियों को भेजी थी. 

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बेटे ने जारी की तलाश 

उम्र के एक पड़ाव पर आकर डेविड ने अपनी असली मां की तलाश करनी शुरू की. मां का पता लगाने निकले डेविड के पास सिर्फ़ एक फ़ोटो और पल्लावरम के उस शेल्टर होम का पता था, जो 1990 में ही बंद हो चुका था. डेविड लगातार अपनी मां से मिलने का प्रयास कर रहे थे और इसी प्रयास के कारण वो 39 साल में चेन्नई पहुंचे. 

2013 में डेविड ने चेन्नई के ऐक्टिविस्ट क्टिविस्ट अरुण दोहले से मिल कर अपनी मां की तलाश शुरू की. ये तलाश इतनी लंबी चली कि 6 साल बाद अब जाकर ख़त्म हुई. 

इस कहानी के बारे में सिर्फ़ यही कहेंगे कि इंतज़ार का फल सच में मीठा होता है. 

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