इस दुनिया में बहुत से दयालु लोग हैं. जो निस्वार्थभाव से दूसरों की मदद और सेवा करते हैं. इन्हीं चंद नेक लोगों में चेन्नई का एक ऑटोरिक्शा वाला भी शामिल है. 41 वर्षीय एन बसकर समय पर घायल और पीड़ित पुशओं को ऑटो से हॉस्पिटल पहुंचने का काम करते हैं. 

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घायल और पीड़ित पुशओं की सूचना उन्हें SOS कॉल द्वारा प्राप्त होती है. पशुओं तक पहुंचने से पहले वो अपनी ऑटो में डेटॉल, फ़िनाइल, सैनिटाइज़र, मास्क, एप्रन, दस्ताने, बिस्कट और पानी रखना नहीं भूलते. वहीं घायल पशु भी बसकर के पहुंचने का इंतज़ार करते हैं. बसकर ऑटो लेकर जख़्मी जानवरों के पास पहुंचते हैं. इसके बाद कुत्ते को कपड़े में लपेट कर ऑटो में बैठाते हैं और अस्पताल जाते हैं. वहीं जांच होने के बाद वो घायल जानवरों को एक्टिविस्ट को सौंप देते हैं. इसके बाद ऑटो साफ़ करके दूसरी घायल सवारी लेने की तैयारी करते हैं. 

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कैसे आया अन्ना को मदद का ख़्याल 

एन बसकर करीब सात साल से ऑटो चला रहे हैं. वो तीन साल पहले विनोदिनी नामक महिला से मिले थे. जो पेशे से डॉक्टर थी और पशु कल्याण के लिये काम भी करती थी. वो कुत्तों को बिस्कट, चावल, दाल और पेडिग्री दिया करती थी. उन्हीं की मदद से बसकर ने घायल जानवरों के रेस्क्यू करना शुरू किया. जानवरों की दुर्गति देखने के बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा जानवरों की मदद के लिये निकालने का फ़ैसला किया. 

इसके बाद ऑटो रिक्शाचालक ने पशु कल्याण कार्यकर्ता विनोदिनी और मंजुला गणेशन की मदद से 1 जून से Help Voiceless सेवा शुरू की. अच्छी बात ये है कि पिछले तीन वर्षों में वो करीब 200 जानवरों को बचा चुके हैं. 

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