कभी हाथ में चोट लग जाए तो एक हाथ से काम करना कितना अटपटा लगता है. अटपटा तो छोड़ो काम हो ही नहीं पाता है. और एक हैं केरल के थोडुपुज्हा के करिमानूर गांव की रहने वाली जिलुमोल मैरियट थॉमस, जो बिना हाथों के गाड़ी चला लेती हैं. इनके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं. 

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दरअसल, जिलुमोल जन्म से ही दुर्लभ बीमारी थैलिडोमाइड सिंड्रोम से ग्रसित हैं. इसकी वजह से इनके दोनों हाथ नहीं हैं. 

New IndianExpress के अनुसार,

जिलुमोल अपने पैर से बचपन से ड्राइविंग कर रही हैं. वो पूरे एरिया में घूमती हैं और अपनी गाड़ी को बख़ूबी कंट्रोल करती हैं. इसी के चलते जिलुमोल ने 2014 में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था. 

जब उन्होंने आवेदन दिया तो RTO के अधिकारियों ने उनसे कहा,

पूरे भारत में ऐसे व्यक्ति को ढूंढ कर लाओ, जिसे हाथ न होते हुए भी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया हो. अगर ऐसा होगा तो उन्हें भी जारी कर दिया जाएगा.

बस क्या था, जिलुमोल ज़रा भी हताश नहीं हुई और ऐसे व्यक्ति की खोज में निकल गई. कहते हैं दिल से ढूंढो तो भगवान तक मिल जाते हैं, तो फिर ये तो इंसान था. जिलुमोल ने उस व्यक्ति को ढूंढ निकाला, उनका नाम विवेक अग्निहोत्री है और वो देश के पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें हाथ न होते हुए भी लाइसेंस जारी किया गया था.

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हालांकि, जिलुमोल को तब भी लाइसेंस नहीं मिला, उन्हें 2018 में हाईकोर्ट के दरवाज़े खटखटाने पड़े. इसके बाद केंद्र सरकार ने नोड जारी कर उन्हें लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस दिया. अभी भी जिलुमोल के पास लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस ही है. अब ये राज्य सरकार का निर्णय होगा कि उन्हें पर्मानेंट ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाए या नहीं.

उनके लाइसेंस को इसलिए रोका गया क्योंकि जब जिलुमोल ड्राइविंग टेस्ट दे रही थीं, तो RTO अधिकारियों को उनकी ड्राइविंग में कुछ कमी लगी और उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया. 

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लाइसेंस के रद्द होने पर जिलुमोल ने कहा,

दुनिया में दो तरह के इंसान होते हैं. एक वो, जो अपनी कमज़ोरियों का बहाना बना कर हार मान लेते हैं और दूसरे वो, जो कमज़ोरियों के ख़िलाफ़ खड़े हों और सफ़ल होने की कोशिश करें. मैं दूसरी तरह की हूं.

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