लॉकडाउन के दौरान इंसानियत की एक अलग ही मिसाल कायम हो रही है. लोग किसी भी हद तक जाकर ज़रूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. हाल ही में केरल के Alappuzha ज़िले का भी ऐसा ही मामला सामने आया. जहां एक अजनबी ने 4 साल की बच्ची नूर को दवाई पहुंचाने के लिए 150 किमी बाइक चलाई. 

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दरअसल, केरल के Alappuzha ज़िले में रहने वाली इस 4 साल की बच्ची नूर को ब्लड कैंसर है. इसके चलते वो कीमोथेरेपी के लिए हर महीने तिरुवनंतपुरम के क्षेत्रीय कैंसर सेंटर जाती थी. मगर लॉकडाउन के कारण कीमो यूनिट बंद कर दिए गए हैं और बच्ची को फ़िलहाल एक टेम्पररी मेडिकेशन दे दिया गया है, ताकि उसकी स्थिति में सुधार रहे. 

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इन दवाइयों के ख़त्म होने पर जब बच्ची के परिवार वाले पास के मेडिकल सेंटर से दवाई लेने गए तो उन्हें वहां वो दवाई नहीं मिली. इस बात से घबरा कर उन्होंने पुलिस ऑफ़िसर एंटोनी रतीश से मदद मांगी. तब रतीश ने तुरंत अपने दोस्त विष्णु को फ़ोन कर सारी बात बताई. विष्णु पहले पुलिस में थे अब वो तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में मेडिकल सर्जेंट हो गए हैं.

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नूर के परिवार को दवाइयां पहुंचाने के लिए विष्णु ने चार घंटे से भी कम समय में अपनी बाइक पर 150 किमी से ज़्यादा की दूरी तय की. विष्णु उस दिन नाइट ड्यूटी पर थे. वो तिरुवनंतपुरम में क्षेत्रीय कैंसर केंद्र गए और दवाइयां खरीदीं क्योंकि बच्ची की दवाइयां शाम 6 बजे तक पहुंचानी थीं. इसलिए विष्णु ने बिना देर किए अपनी यात्रा शुरू कर दी और शाम 5 बजकर10 मिनट पर नूर के परिवारवालों को दवाइयां सौंप दी. विष्णु ने नूर के परिवारवालों की स्थिति देखकर उनसे दवाइयों के पैसे नहीं लिए. बच्ची के परिवारवालों ने विष्णु को धन्यवाद कहा.

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विष्णु ने बताया,

नूर का जन्म 13 साल के लंबे इंतज़ार के बाद हुआ था, जिस दिन पता चला कि नूर को ब्लड कैंसर है उसका परिवार बिखर गया. उसके बड़े भाई को भी जानलेवा बीमारी है. ये लोग किराए के मकान में रहते हैं. ये सब जब मुझे पता चला, तो मैं ख़ुद को इनकी मदद करने से नहीं रोक पाया.
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विष्णु का कहना था,

जब मैंने बच्ची की दवाइयां उसके परिवारवालों को सौंपी तब उनके चेहरे पर जो ख़ुशी थी उससे बड़ा तोहफ़ा कुछ और हो ही नहीं सकता. बच्ची की मां ने कहा, वो मेरे और मेरे दोस्त के लिए हमेशा प्रार्थना करेंगी.
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विष्णु ने आगे कहा,

मानवता ही है जो हमें अलग नहीं कर सकती है. मैं लोगों को इंसानों के रूप में देखता हूं, न कि हिंदुओं या मुसलमानों के रूप में. इसलिए मैं जो मदद कर सकता हूं अपनी तरफ़ से करता हूं क्योंकि प्यार ही है, जो नफ़रत को हरा सकता है.

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