बस का सफ़र हो या मेट्रो का हर लड़की के साथ कभी न कभी कोई न कोई ओछी हरकत होती ही है. इसे मैं इसलिए अच्छे से समझ सकती हूं क्योंकि मेरा ये रोज़ का है. मैं रोज़ बस और मेट्रो से आती जाती हूं और ऐसी घिनोनी हरकतों से दो-चार होती रहती हूं. मगर इस बार मेरे साथ नहीं, बल्कि मेरी बगल वाली सीट पर बैठी लड़की के साथ ऐसा हुआ. 

दरअसल, हुआ ये था कि वो लड़की बहुत देर से खड़ी थी और उसके ऊपर एक आदमी ज़बरदस्ती गिरा जा रहा था. मुझे ये नहीं पता कि वो ये सब कितनी देर से बर्दाश्त कर रही थी क्योंकि वो मेरे से पहले बस में थी. जब मैं चढ़ी तो मैं सीट पर बैठ गई वो मेरे थोड़े आगे थी तो इसलिए वो सीट पर नहीं बैठ पाई और मैं उससे बस एक सीट पीछे बैठ गई. 

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मैं ये सब देख रही थी और मुझे गुस्सा उस आदमी से ज़्यादा लड़की पर आ रहा था क्योंकि वो चुपचाप उसे ऐसे करने दे रही थी. फिर मेरे बगल वाली सीट खाली हुई तो मैं खिसक गई और उसे बिठा लिया. उस आदमी की इतनी हिम्मत हुई कि वो उसकी सीट के पास भी आ गया और अबकी बार उसने हद कर दी थी. वो अपना प्राइवेट पार्ट बार-बार धक्के के बहाने से उस पर लगाकर रहा था. 

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तब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बोल दिया कि तुम्हें तमीज़ नहीं है क्या? इतनी देर से तुम इसे परेशान कर रहे हो. पहले खाली बस में धक्का मारने पर ब्रेक का बहाना बना रहे थे कि ड्राइवर ही ऐसे ब्रेक लगा रहा है और अब इतनी ओछी हरकत कर रहे हो. मेरे चिल्लाने पर कुछ लोगों ने जैसे ही उस पर चिल्लाना शुरू किया, वो बहाने बनाने लग गया और जैसे ही बस रुकी उतरकर भाग गया. मगर मुझे उसकी वो गिरी हुई हंसी चुभ गई जो उसने अपनी इस हरकत के बाद कुछ न किए जाने पर बस के बाहर से हम दोनों को दी थी. 

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वो तो चला गया. लेकिन उसकी वो हंसी आज भी चुभती है. आज भी मुझे लगता है कि चिल्लाने की जगह उसे सीधे एक चांटा मारा होता. मगर ये सिर्फ़ मेरी एक कहानी नहीं है ऐसा अधिकतर लड़कियों के साथ हर रोज़ बसों और मेट्रो में होता है.

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