भद्दे कमेंट, ओछी बातें और गंदी नज़रें ये सब सुनते ही हम सबके दिमाग़ में जो छवि आती है वो लड़कों की होती है. हम सब बहुत आसानी से कह देते हैं कि हां ये लड़के तो ऐसे ही करते हैं. उनके घर में मां-बहनें होती नहीं हैं, बस दूसरी सड़क चलती लड़कियों को घटिया बातें बोलते रहते हैं. मगर एक बात बोलूं जिन लड़कों को हम इतनी आसानी से हर बुरी चीज़ का ज़िम्मेदार मान लेते हैं. वो लड़के भी इस तरह की बातों से गुज़रते हैं. 

reporter

एक क़िस्सा बताती हूं, आज सुबह बस से ऑफ़िस आ रही थी. बस में चढ़ी तो सीट नहीं थी और मेरे अलावा कई और लोग भी थे जो खड़े थे. उनमें से कुछ 35 से 40 साल की उम्र की आंटियां भी थीं. वो सब कुछ बड़बड़ा रही थीं, जो मुझे समझ नहीं आ रहा था. तभी उनके बड़बड़ाने पर किसी ने कुछ बोला तो बहस होने लग गई. फिर मैंने अपने हेडफ़ोन हटाए और उनकी बातों को सुनने लग गईं तो पता चला कि वो महिलाएं कड़वी बातें उस आदमी को बोल रही हैं, जो महिला सीट पर बैठा था. उसकी उम्र 40 होगी, जिसे वो लोग सीधे तो कुछ नहीं कह रही थीं, लेकिन दूसरों को मोहरा बनाकर उसे उल्टा-सीधा बोल रही थीं.

businesstoday

मैं तो उनके बाद चढ़ी थी तो मुझे नहीं पता कि वो कब से उसको सुना रही थीं. मगर मुझे जितनी देर हुई थी चढ़े हुए वो आदमी सिर्फ़ उन लोगों की बातें सुन रहा था कुछ कह नहीं रहा था. मगर उसके पक्ष में बोलते हुए एक लड़के ने कहा कि आप इतनी देर से ग़लत-ग़लत बोल रहे हो. इससे अच्छा तो आप उसे सीधे बोल दो, लेकिन किसी को सुबह-सुबह इतना सुनाना अच्छा नहीं होता तो वो आंटी उसी से लड़ने लग गईं.

mangaloretoday

जब बहुत देर हो गई तब उस आदमी ने भी अपने पैर दिखाते हुए कहा कि मुझे दिक्कत है इसलिए मैं बैठा हूं. उसके पैर में दिक्कत थी, इसलिए उसने (Walker Boot) पहने हुए थे. जब उन्होंने देखा तो सब शांत हो गईं और बोलीं कि पहले बोल देते. उसने उनकी बात पर कहा,

youtube
आपने मुझे मौक़ा ही कहां दिया तबसे तो बोल रही हैं क्योंकि मैं लेडीज़ सीट पर बैठा हूं. अभी अगर इन सीटों पर, जो दोनों के लिए हैं उनमें कोई लड़की बैठी होती और लड़का खड़ा होता तब आप कुछ नहीं बोलतीं क्योंकि वो तो लड़का है वो खड़ा रह सकता है. उसे दर्द कहां होता है? 
timesofindia

उसकी बात ने आंटियों को भले ही चुप करा दिया, लेकिन एक सवाल ज़रूर मेरे और उन सभी लोगों को मन में खड़ा कर दिया जो कहते हैं कि लड़का है इसे तो मज़बूत होना चाहिए. अरे, लड़का है रो नहीं सकता, सीट पर बैठ नहीं सकता, भारी सामान उठा लेगा, ये सारी बातें किसने बनाई? ये कोई क्यों नहीं समझता कि लड़का है तो क्या हुआ इंसान तो वो भी है न? फ़ीलिंग्स और दर्द उसे भी हो सकता है न. साथ ही ये भी कि उसने अपने शरीर की कमी को कमज़ोरी नहीं ताक़त बनाया है. इस ताक़त को जुटाने में और अपने सच को स्वीकारने में उसे कितनी हिमम्त जुटानी पड़ी होगी. 

medicaldaily

इसलिए अगली बार लड़का या लड़की देखकर नहीं, बल्कि सही और ग़लत देखकर बोलें ताकि किसी को भी तकलीफ़ न हो.

Life से जुड़े आर्टिकल ScoopwhoopHindi पर पढ़ें.