ऑफ़िस से निकलने के बाद बस स्टैंड पर पहुंची. मेरी 7:30 बजे वाली बस निकल गई थी, तो अगली बस फिर 8 बजे ही आती है, लेकिन बस जब 8:30 बजे तक भी नहीं आई तो मैंने सोचा थोड़ा देर इंतज़ार करके कैब कर लूंगी. एक तो रात हो रही थी ऊपर से ये ठंड.

तभी घर से फ़ोन आया और उन्होंने पूछा कहां हो? तो मैंने बता दिया अपने स्टैंड पर ही हूं. वो घबरा रहे थे कि इतनी रात हो रही है तो उन्होंने कहा कैब कर लो. उनके बताए अनुसार मैंने कैब कर ली. मेरी कैब 5 मिनट में आ भी गई. जैसे ही बैठी तसल्ली की सांस ली और लगा अब 9:15 से 9:30 बजे के बीच में तो घर पहुंच ही जाऊंगी.

मगर जब किस्मत ख़राब हो तो कुछ अच्छा कहां से हो सकता है. मैं कैब में थी घर से फ़ोन आ गया मैं बात करने में बिज़ी हो गई क्योंकि कैब ड्राइवर्स के पास मैप होता है जिससे वो हमें लेकर जाते हैं. मैं अपनी बातों में बिज़ी थी, उतने में ही कैब ड्राइवर ने गाड़ी महिपालपुर के पास नए वाले अंडरपास में घुसा दी.

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मैंने अपना फ़ोन काटा और उनको बोला अंडरपास से नहीं लेनी थी, ऊपर से लेनी थी. तो वो बोले कि मैप तो यही दिखा रहा है. अच्छा उस रास्ते से एक-दो बार ही गई हूं वो भी अपनी फ़्रेंड के घर तो ये याद नहीं था कि कोई यू-टर्न है या नहीं. मेरी कैब चली जा रही थी. तब मैंने उनसे पूछा कि कोई यू-टर्न नहीं है क्या जिससे हम महिपालपुर वाले फ़्लाईओवर पर आ जाएं.

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ड्राइवर ने बताया नहीं है. तब मुझे बहुत गुस्सा आया क्योंकि मेरा 30 से 45 मिनट का रास्ता अब 1 घंटे का हो चुका था. तब मैंने उनसे कहा कि आप ऊपर से ले लेते तो मुझे इतनी लेट नहीं होती. उनका वही पुराना जवाब मैप में यही दिखा रहा था. तो इसका मतलब है कि ये जो कैब के मैप होते हैं उन्हें पास का रास्ता नहीं पता होता है क्या?

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एक तो भूख भी बहुत लग रही थी दूसरा लेट हो रही थी. उस दिन इतना गुस्सा आया न कि बस यही सोचती रही कि काश, एक यू-टर्न होता तो आज मेरा सफ़र इतना लंबा नहीं होता.

अगर ऐसे ही किसी यू-टर्न की वजह से आपका भी समय बर्बाद हुआ है तो हमसे कमेंट बॉक्स में शेयर ज़रूर करिएगा. 

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Illustrated By: Aprajita Mishra