रोटी के लिए घर से आए थे, आज उसी रोटी के बिना दर-दर भटक रहे हैं
ये हमारे मज़दूरों की आज की तस्वीर है, जो कोरोना के संकट में बुरे फंसे हैं. अपने घर जाने के लिए भूखे-प्यासे चल रहे हैं. कोई खाने को दे देता है तो खा लेते हैं, नहीं देता तो चलते रहते हैं. इन्हीं मज़दूरों की मदद करने के लिए आम लोग आगे आ रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं पुणे के ऑटो रिक्शा ड्राइवर अजय कोठावले, जिन्होंने अपनी शादी के लिए जोड़े पैसों को मज़दूरों को खाना खिलाने में लगा दिया.
अजय अपने दोस्त की मदद से रोज़ 400 लोगों का खाना बनवाते हैं. फिर ख़ुद ही रेलवे स्टेशन के पास मालढाका चौक, संगमवाड़ी और येरवडा के इलाकों में जाकर खाने को प्रवासी मज़दूर और ग़रीबों को बांटते हैं. पुणे के टिंबर मार्केट में अजय ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर किचन बनाया है, जहां मज़दूरों के लिए रोटी और सब्ज़ी बनाई जाती है.
अजय बताते हैं,
मैंने कई लोगों को सड़क पर भूख से संघर्ष करते देखा है. ये लोग अपने लिए एक वक़्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं, ऐसे में मैंने अपने दोस्त के साथ मिलकर उनके लिए कुछ करने का सोचा. उन्हें खाना खिलाकर मन को सुकून मिलता है. हालांकि, हमारे पैसे धीरे-धीरे ख़त्म हो रहे हैं, इसलिए हम कभी-कभी मसाला राइस, पुलाव और सांभर राइस भी बांटते हैं. फ़िलहाल इन्हें खाना बांटना चालू रहेगा.
उन्होंने आगे बताया,
जितना भी हमारे पास फंड है उसके ज़रिए हम कम से कम 31 मई तक तो इन्हें खाना मुहैय्या करा ही पाएंगे.
आपको बता दें, 30 साल के अजय की 25 मई को शादी थी. अजय ने अपनी शादी के लिए क़रीब 2 लाख रुपए जोड़े थे. मगर लॉकडाउन के चलते अजय की शादी को आगे बढ़ा दिया गया. अब उन्हीं पैसों से अजय ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को खाना खिलाने का नेक काम कर रहे हैं.
इसके अलावा, अजय अपने ऑटो रिक्शा से बुज़ुर्ग और गर्भवती महिलाओं को उनके गंतव्य तक फ़्री में छोड़ते हैं. उन्होंने बताया,
लॉकडाउन के दौरान जिन बुज़ुर्गों या गर्भवती महिलाओं को गाड़ी की ज़रूरत होती है, मैं उनको फ़्री में अपने रिक्शा से छोड़ देता हूं.
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