दुनिया में कई महान विचारक (Thinker) हुए हैं… इन्होंने दुनिया को अपनी गहन Observation और सोच से प्रभावित किया. इनकी कही हुई एक सिंपल सी बात ने दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया, जैसे ये:

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समझ गए होंगे, हम किस विचारक की बात कर रहे हैं! 

बिस्वा कल्याण रथ को उसकी कॉमेडी के साथ-साथ Observational Humor के लिए जाना जाता है. कुछ दिनों पहले अपनी टीम में बिस्वा के एक ऐसे ही Observational Piece पर बात चल रही थी. जिसमें उसने बड़े प्यार से बताया कि भारत में इतनी भाषाएं, अलग-अलग तरह के लोग हैं, फिर भी जब Scenery बनाने की बात आएगी, तो सब वही पहाड़, वही सूरज, चिमनी वाला घर और उससे निकलती सड़क बनाएंगे… हां, चिड़िया तो भूल ही गए.

Source: Biswa Kalyan Rath 

सोचने वाली बात भी है कि अलग-अलग राज्यों के लैंडस्केप में इतना फ़र्क होने के बाद भी Scenery में वही पहाड़ क्यों!

इस बात को Prove करने के लिए हमने भी एक सरप्राइज़ Exercise करते हुए अपने टीम मेंबर्स से सीनरी बनाने को कहा. देखना चाहेंगे, उन्होंने क्या बनाया?

इस वाली में आज मैं ऊपर आसमान नीचे वाली फ़ील है. सूरज काफ़ी ख़ुश लग रहा है! 

थोड़ी क्रिएटिविटी दिखाने की कोशिश, लेकिन पहाड़ वही हैं.

हंसने के कई मौके हैं इस वाली में.

इनसे कहा गया था Scenery बनाइये, इन्होंने अपनी बगल वाली खिड़की बना दी. ड्रॉइंग बुरी है, पर Thought अलग है. इसलिए पूरे मार्क्स!

एक और अलग Scenery, जहां पहाड़ से कुछ अलग सोचने की कोशिश की गयी.

ये नदी है या सांप, समझ नहीं आ रहा.

बादलों को कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है.

इस सीनरी में कुछ विचित्र जीव दिखेंगे. माफ़ कीजियेगा, बीच में आइसक्रीम है.

पेड़ को हाथी-पांव हो गया है.

ये ख़ूबसूरत है और थोड़ी Realistic भी.

कुछ तो गड़बड़ है दया!

आपको सीनरी की ये आर्ट गैलरी दिखाने का एक ही मकसद था. मकसद था ये बताना कि जब किसी देश को भौगोलिक तौर पर, सांस्कृतिक तौर पर और सोच के तौर पर इतनी विविधता मिली हो, तो उसके लोगों के लिए सीनरी बस पहाड़ और नदी कैसे हो सकते हैं? 

सीनरी रेगिस्तान भी है… सीनरी किसी जंगल में बकरियों का झुंड भी है… सीनरी उस जंगल से लड़कियां लेकर आती औरतें भी हैं और सीनरी समुद्र की गहराई में जा कर मछलियों के लिए जाल बिछाता मछुआरा भी है.

सीनरी यहां सिर्फ़ रूपक (Metaphor) है. मकसद ये बताना है कि देश के इतने लोगों की सोच एक जैसी नहीं हो सकती, न ही होनी चाहिए. यही विविधता तो भारत की ताकत और पहचान है. है न?