इस समय देश के कोने-कोने में मकर संक्रांति की रौनक है. ऐसे में हर घर में इस त्यौहार को लेकर ख़ास तैयारियां चल रही हैं. सदियों से ये त्योहार इसी तरह धूम-धाम से मनाया जाता आ रहा है. हांलाकि, जिसे हम मकर सक्रांति कहते हैं, उसके कई और नाम भी हैं. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के नाम से बुलाया जाता है. तमिलनाडु और केरल में इसे पोंगल कहते हैं. कर्नाटक में इसे संक्रांति के नाम से जानते हैं, तो वहीं यूपी-बिहार में इसे खिचाड़ी के नाम से जानते हैं. 

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क्यों मनाई जाती है मकर संक्राति?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता आ रहा है कि जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रांति के योग बनते हैं. इसे साल का पहला त्यौहार भी कहा जाता है.  

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क्या है वैज्ञानिक महत्व?

आयुर्वेद में ऐसा कहा गया है कि इस मौसम में इंसान ज़्यादा बीमार पड़ता है. इन बीमारियों से बचने के लिये खिचड़ी और तिल-गुड़ से बने लड्डु खाये जाते हैं. इन चीज़ों के सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है. इसके अलावा शरीर को गर्मी भी मिलती है, जिससे हम ठंड से सुरक्षित रहते हैं. कहते हैं कि 14 जनवरी के बाद से ठंड का असर कम हो जाता है.  

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दूर होती हैं बीमिरियां

मकर संक्रांति को लेकर ये भी माना जाता है कि इसके बाद से नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इससे हम बीमारियों से दूर रहते हैं. वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य की गर्माहट शरीर को ठंड से बचाती है.  

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इस दिन क्या न करें:


1. देर से जागना. 

2. बिना पूजा किये खाना खाना. 

3. फ़सल काटना.

4. बाल धोना.

5. लड़ाई-झगड़ा करना.

6. मदिरा का सेवन.

त्यौहार वाले दिन बहुत से लोग गंगा स्नान और दान-पुण्य भी करते हैं. त्यौहार वाले दिन घर में शांति बनाये रखें और ख़ुश रहें. ये आपके और आपके परिवार के बेहतर होगा. 

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं. 

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