मेले और महोत्सव हमेशा से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं. इनके माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखते हैं. ये भारत के गौरवशाली इतिहास के भी प्रतीक हैं. मेला और महोत्सव की बात हो और राजस्थान का ज़िक्र न हो, ये हो ही नहीं सकता. राजस्थान जितना अपनी राजपूती शान के लिए जाना जाता है, उतना ही अपने ख़ूबसूरत मेलों और महोत्सव के लिए भी पहचाना जाता है.

आज हम आपको राजस्थान के कुछ ऐसे ही मेलों और महोत्सव के बारे में बता रहे हैं, जिनमें राजस्थान का गौरव झलकता है. 

1. ऊंट महोत्सव, बीकानेर (जनवरी)

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‘रेगिस्तान का जहाज़’ माने जाने ऊंट के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए बीकानेर में इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जनवरी महीने में होने वाले इस महोत्सव में अच्छी नस्ल के ऊंटों की प्रदर्शनी लगती है, जहां प्रशिक्षित ऊंट नृत्य भी करते हैं.

2. नागौर मेला, नागौर (फ़रवरी)

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नागौर मेले में प्रमुख रूप से पशुओं का व्यापार होता है. दूर-दूर से लोग इस मेले में पशु खरीदने के लिए आते हैं. फ़रवरी महीने में लगने वाला ये मेला, भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है.

3. मरू (रेगिस्तान) महोत्सव, जैसलमेर (फ़रवरी)

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रेगिस्तान, राजस्थान की पहचान हैं और उन्हीं रेगिस्तान में आयोजित होने वाला मरू महोत्सव लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है. हर साल फ़रवरी महीने में होने मरू महोत्सव राजस्थान का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम है. तीन दिन तक चलने वाला ये उत्सव राजस्थान के लोकगीत, नृत्य और विरासत को प्रदर्शित करता है.

4. बेणेश्वर मेला, डूंगरपुर (फ़रवरी)

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बेणेश्वर मेला, आदिवासियों का महाकुम्भ है. ये धार्मिक मेला फ़रवरी में आयोजित होता है. इस मेले में आदिवासी डूंगरपुर के महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते हैं.

5. गणगौर महोत्सव, जयपुर (मार्च)

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अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला, जयपुर का गणगौर महोत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है. मार्च महीने में मनाए जाने वाले इस महोत्सव में कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं.

6. गज महोत्सव, जयपुर (मार्च)

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गज (हाथी) महोत्सव गुलाबी नगरी जयपुर की ख़ूबसूरती में चार चांद लगा देता है. इस महोत्सव का आयोजन मार्च के महीने में होली वाले दिन किया जाता है.गज महोत्सव में मुख्य रूप से हाथी, ऊंट और घोड़े आकर्षण का केन्द्र होते हैं. ‘हाथी पोलो’ और ‘हाथी डांस’ के माध्यम से महोत्सव में आए लोगों का मनोरंजन किया जाता है.

7. मेवाड़ महोत्सव, उदयपुर (अप्रैल)

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अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाने वाला मेवाड़, इस महोत्सव की वजह से भी ख़ासा मशहूर है. ये महोत्सव, वसंत का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है. पिकोला झील 6 से 8 अप्रैल तक चलने वाले इस महोत्सव की ख़ूबसूरती का गवाह बनता है.

8. ग्रीष्म (गर्मी) महोत्सव, माउंट आबू (मई)

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माउंट आबू, राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन है. यहां आयोजित होने वाला ग्रीष्म महोत्सव राजस्थान का एक प्रमुख सांस्कृतिक महोत्सव है, जो हर साल मई-जून के महीने में आयोजित होता है.

9. मारवाड़ महोत्सव, जोधपुर (सितम्बर)

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मारवाड़ महोत्सव, राजस्थान का सबसे लोकप्रिय उत्सव है, जिसमें राजस्थानी अपनी परम्परा, संस्कृति और संगीत कला का प्रदर्शन करते हैं. नृत्य और लोकसंगीत इस उत्सव की सबसे ख़ास बात होती है. ऊंट पोलो भी इस महोत्सव में आकर्षण का केन्द्र होते हैं.

10. पुष्कर मेला, पुष्कर (नवम्बर)

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नवंबर महीने में लगने वाला पुष्कर मेला, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट मेला है. इस मेले में ऊंट खरीदने और बेचने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. पुष्कर मेला भारत का तीसरा सबसे बड़ा पशु मेला है.

ये सभी मेले और महोत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर हैं. राजस्थानी लोग इस बात के लिए सम्मान के पात्र हैं कि उन्होंने अपनी परम्परा और विरासत को आज तक संभाल कर रखा है. अगर आपको कभी मौका मिले, तो राजस्थान की ख़ूबसूरती और विरासत को देखने के लिए ज़रूर जाइएगा.