‘भूखे पेट भजन नहीं होत गोपाला’, ये कहावत तो कई बार सुनी होगी. मगर ये हमारे देश में कुछ लोगों की हक़ीक़त भी है. वो सुबह से शाम भूख से किलसते पेट के साथ ही निकाल देते हैं. उनकी थाली में आधी रोटी भी मुश्किल से ही आती है, तो उनके मुंह से भजन कैसे निकलेंगे. उनकी आंखें सपने देखने की मेहनत कैसे करेंगी?
सड़क पर पड़ी एक रोटी की क़ीमत उनसे बेहतर कोई नहीं जान सकता, जिन्हें भूख लगी हो. ऐसे ही भूख से जलते पेट की भूख मिटाने का काम कुछ लोगों से सालों से कर रहे हैं.
1. गुलाब जी चाय वाले
94 साल के गुलाब जी चाय वाले फ़्री में लोगों को बन मस्का और चाय देते हैं. जयपुर के एमआई रोड पर उनकी ये दुकान आज़ादी के समय से है. वो यहां आने वाले लोगों को चाय और बन मस्का देते हैं. इसके बदले में अगर सामर्थ्य हो तो पैसे लेते हैं वरना फ़्री में खाने को देते हैं.
गुलाब जी ने बताया,
1947 में मैंने 130 रुपये से एक छोटी सी चाय की टपरी से शुरुआत की थी. इस काम को शुरू करने में मुझे काफ़ी संघर्ष करना पड़ा क्योंकि मैं राजपूत परिवार से हूं और एक राजपूत परिवार का लड़का चाय बेचे ये किसी को मंज़ूर नहीं थी. मगर आज मुझे इस काम को करके एक नई ऊर्जा मिलती है.
2. के. कमलाथल दादी
One of those humbling stories that make you wonder if everything you do is even a fraction as impactful as the work of people like Kamalathal. I notice she still uses a wood-burning stove.If anyone knows her I’d be happy to ‘invest’ in her business & buy her an LPG fueled stove. pic.twitter.com/Yve21nJg47
— anand mahindra (@anandmahindra) September 10, 2019
महंगाई के इस दौर में 80 साल की ये दादी 1 रुपये में इडली और सांभर बेचती हैं. 30 साल पहले Vedivelampalayam में कमलाथल ने ये दुकान खोली थी. तब से लेकर आजतक वो ख़ुद ही इडली बनाती हैं. 10 साल पहले इसकी कीमत 50 पैसे थी, जो अब 1 रुपये हो गई है.
3. वेंकटरमन
2007 में एक बूढ़ी महिला को इडली न दे पाने के चलते वेंकटरमन ने उन्हें 10 रुपये के 6 डोसे दे दिए और उसके जाने के बाद इन ग़रीब लोगों के बारे में सोचते रहे. तब उन्होंने ये सोचा कि अब वो ग़रीब लोगों को खाना उपलब्ध कराएंगे. इसके बाद तब से लेकर आज तक वो ग़रीबों को टिफ़िन के ज़रिए 1 रुपये में खाना देते हैं.
4. रानी
Tamil Nadu: A 70-yr-old woman Rani runs an idli shop near Agni Tirtham in Rameswaram&serves idli free of cost to the poor;says,“We charge Rs.30 for a plate of idli,but we do not insist upon money. Who doesn’t have money,we don’t charge them. We still use wood as fuel for cooking” pic.twitter.com/yQuwihqv8o
— ANI (@ANI) September 15, 2019
रामेश्वरम के अग्नि तीर्थम में रानी एक अस्थायी दुकान चलाती हैं. इस दुकान में वो ग़रीबों को फ़्री में और जो पैसे दे सकते हैं उन्हें 30 रुपये में इडली देती हैं. यहां पर बाकी दुकानों में इडली 60 रुपये में मिलती हैं. रानी ने बताया, कस्टमर्स मेरे पास इसलिए आते हैं क्योंकि मैं उन्हें प्यार देती हूं और अपने परिवार के सदस्य की तरह मानती हूं. मेरी दुकान ज़्यादा अच्छी नहीं है, लेकिन मेरे खाने में लोगों को प्यार मिलता है. मैं काफ़ी उम्र की हूं और अपने रहन-सहन का इंतज़ाम ख़ुद करती हूं.
5. रविंद्रकुमार
तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई में एक सरकारी अस्पताल के बाहर 1990 से अगस्त्य अन्नधनम ट्रस्ट चल रहा है. इस ट्रस्ट के ज़रिए पिछले 29 सालों से सरकारी अस्पतालों के बाहर फ़्री में खाना दिया जा रहा है. इसकी शुरुआत इसके कोषाध्यक्ष वीजी रविंद्रकुमार के पिता वी. गोविंदराज ने की थी. एक बार गोविंदराज ने तिरुची सरकारी अस्पताल का दौरा करते समय वहां के मरीज़ों की स्थिति दयनीय पाई. तब उन्होंने मरीज़ों को गर्म पानी देना शुरू किया.
आज इस अस्पताल में क़रीब 1000 मरीज़ों को फ़्री में खाना दिया जाता है. इसे रवींद्रकुमार और उनकी पत्नी ख़ुद बनाते हैं.
6. सीताराम दास बाबा
70 साल के सीताराम दास बाबा तमिलनाडु के रामेश्वरम में रहते हैं. वो पिछले 36 सालों से 500 लोगों को फ़्री में खाना खिला रहे हैं. ये नेक काम वो अपने आश्रम के ज़रिए करते हैं, जो रामानाथ स्वामी मंदिर के पास है और इसका नाम बजरंग दास बाबा आश्रम है. यहां साउथ और नॉर्थ इंडियन दोनों तरह का खाना मिलता है.
7. अज़हर मकसूसी
हैदराबाद के दबीरपुरा पुल के नीचे पिछले 7 सालों से अज़हर 1200 लोगों को रोज़ खाना खिला रहे हैं. 2002 में शुरू में अज़हर ने ये नेक काम तब शुरू किया था जब रेलवे स्टेशन के पास उन्होंने एक महिला को भूख से तड़पते हुए देखा. अगले ही दिन उन्होंने अपनी पत्नी से 15 लोगों का खाना बनवाया और रेलवे स्टेशन पर लोगों को खाना खिलाया.
इसके बाद उन्होंने रेलवे स्टेशन के नीचे ही खाना बनाना शुरू किया. आज उनकी इस कोशिश के चलते रायचूर, टांडूर, गुवहाटी और बेंगलुरू के साथ-साथ सात जगहों में खाना खिला रहे हैं.
8. मोहम्मद शुजातुल्लाह
शुजातुल्लाह ने 2015 में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर कुछ ग़रीबों को रात का खाना खिलाया, जिससे उनके मन को सुकून मिला. इसके बाद इन्होंने 25 सदस्यों से उनकी 1 दिन की सैलेरी लेकर लोगों को खाना खिलाना शुरू किया. शुजातुल्लाह, सुल्तान उल उलूम कॉलेज के फ़ार्मेसी के छात्र हैं.
इस चैरिटी के बाद उन्होंने क़रीब 250 लोगों को खाना खिलया. शुजातुल्लाह का Humanity First Foundation नाम का एक NGO है, इसके ज़रिए वो अबतक 5,56,000 लाख लोगों को खाना खिला चुके हैं.
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