मधुबन ख़ुशबू देता है सागर सावन देता है,

जीना उसका जीना है जो औरों को जीवन देता है…

ऊपर लिखी लाइंस बेहद ख़ूबसूरत हैं. ये हिंदी फ़िल्म का एक गाना है पर अब आप सोचेंगे कि हम आपको इस गाने के बारे में क्यों बोल रहे हैं. है ना… तो आपको बता देते हैं कि इसमें एक वाक्य है, सागर सावन देता है…! और आज जीवन देने वाला ये सागर खुद ख़तरे में हैं और इसको सबसे बड़ा ख़तरा मानव जाति से ही है.

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जी हां, हमने अपनी सुविधाओं के लिए और अपने जीवन को आसान बनाने के लिए इसको इतना प्रदूषित कर दिया है कि इसकी गहराइयों में रहने वाले जीवों का अस्तित्व पर ख़तरे में है और इसकी सुंदरता पर दाग लग गया है. शायद ये बात आप कई बार और कई सालों से सुनते आ रहे होंगे, और सुनते-सुनते थक भी गए होंगे. तो चलिए आज इसी बात को आपके सामने दूसरी तरह से पेश करते हैं, शायद आप इसको समझ जाए.

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जब भी कहीं घूमने जाने की बात होती है, तो या तो हम पहाड़ों पर जाने की बात करते हैं या फिर सुमद्र की सुंदरता को निहारना चाहते हैं. हम और आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने कई देशों के Sea Beaches देखे होंगे और वहां पर अच्छे-अच्छे पोज़ेज़ में फ़ोटोज़ भी खिंचवाई होंगी. क्यों सही कहा न? लेकिन कभी सोचा है कि आज से 10-12 साल बाद जब आप और हम अपने बच्चों को सागर की सुंदरता या ख़ूबसूरत Beaches दिखाने ले जाएंगे, तब क्या वो ऐसे ही ख़ूबसूरत रह जाएंगे, जैसे हमने और आपने देखे हैं.

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क्या समझे नहीं, अरे जनाब सीधी बात है कि जिस तरह से हम प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में, और प्लास्टिक वेस्ट को नदियों और समुद्र में बहा रहे हैं, वो आने वाले समय में इन्हीं ख़ूबसूरत महासागरों को इतना प्रदूषित कर देगा कि समुद्र का हरा और नीला पानी काला नज़र आने लगेगा. और समुद्री तटों पर होगा प्लास्टिक और कांच का ढेर.

आप बड़े चाव से अपने बच्चे को पानी के अंदर की दुनिया दिखाने के लिए ले जाएंगे, लेकिन वहां उनको क्या दिखेगा मछली पकड़ने के जाल में फंसा कछुआ.

पॉलिथीन लिपटा हुआ सारस

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कान साफ़ करने वाली बड के सहारे तैरता समुद्री घोड़ा (Seahorses)

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प्लास्टिक की बोतल के ढक्कन में फंसा केकड़ा

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या फिर समुद्री तट पर मरी पड़ी व्हेल, जिसके पेट में होगा प्लास्टिक पॉलिथीन का ढेर

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हो सकता है आपको Beach पर जगह-जगह कांच की बोतलें, प्लास्टिक रैपर्स और ढेर सारी गन्दगी देखने को मिले.

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ये तो आप सबको ही पता होगा कि समुद्र के अंदर की दुनिया हमारी दुनिया से कई गुना सुन्दर और आकर्षक होती है. रंग-बिरंगी मछलियां, प्यारे से कछुए, रंग-बिरंगी पथरीली ज़मीन, सीपी, मोती आदि चीज़ों से सजी समुद्री दुनिया धीरे-धीरे अस्त-व्यस्त होती जा रही हैं.

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मुझे पता है कि अब आप यही कहेंगे कि अब इसमें हमारी क्या ग़लती है हम प्लास्टिक फेंकते नहीं हैं समुद्र में, तो आप ये भी जान लो कि हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में जो भी प्लास्टिक की चीज़ें इस्तेमाल करते हैं, और ख़राब हो जाने पर उनको कूड़े में फेंक देते हैं. उससे इस बात का अंदाज़ा आप खुद लगा सकते हैं कि पूरी दुनिया में हर दिन कितना प्लास्टिक का कूड़ा इकठ्ठा होता होगा.

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समुद्री जीवन के अस्तित्व पर मंडरा रहे ख़तरे का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल दुनिया भर के समुद्री तटों पर 9 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है. इतना ही नहीं दुनिया भर में प्लास्टिक पॉल्यूशन इतना है कि हर साल समुद्र में 80 लाख टन प्लास्टिक फेंका जा रहा है. जिसके कारण प्रतिवर्ष 10 लाख से ज़्यादा जलीय जीवों की मौत प्लास्टिक से होने वाले इंफ़ेक्शन के कारण हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया भर में जितना प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, उसका सिर्फ़ 9% प्लास्टिक ही रि-साइकल हो पाता है. प्लास्टिक पॉल्यूशन के कारण हर साल एक अरब Seabirds और 10,000 समुद्री स्तनधारियों (Marine Mammals) की मौत हो जाती है.

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अगर हम अभी भी नहीं जागे तो वो समय दूर नहीं, जब दुनिया के महासागर दूषित होने के साथ अपनी सुंदरता को भी खो देंगे. इसके लिए हम सबको एक जुट होना होगा. हमको प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करना होगा. और ये कोई कठिन काम भी नहीं है.

– इसके लिए आपको प्लास्टिक पॉलिथीन की जगह कपड़े के थैले का थैला यूज़ करना होगा.

– घर से निकलने वाले कूड़े को सड़क पर फेंकने के बजाये कूड़ेदान में डालना होगा.

– रीसायकल हो सकने वाली प्लास्टिक को यूज़ करना होगा अगर करना भी है तो.

अब आपको एक और हैरान करने वाली जानकारी दे देते हैं. वो ये है कि रोज़मर्रा इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की चीज़ों को डीकम्पोज़ होने में कितना समय लगता है, आइये जानते हैं इसके बारे में:

इसी तरह के कई आइटम्स की जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

हां, जाते-जाते एक बात और कि हर बार इस तरह के आर्टिकल्स पर आपका सवाल होता है कि हम क्यों ज़िम्मेदार हैं इसके लिए इसको बनाना बंद करो, तो भाई आपको ये भी बता दें कि हम अगर इन चीज़ों का इस्तेमाल कम से कम कर दें , तो इनका प्रोडक्शन भी कम होगा और इस समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी.

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि आने वाले समय में अगर यही हाल रहा और हमने अपने समुद्रों को बचाने के लिए कुछ नहीं किया, तो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ नहीं बचेगा. ये सब उनके लिए एक इतिहास बनकर रह जाएगा.