Marlyn Monroe… जिन्हें ज़्यादातर लोग इस तस्वीर से ही याद करते होंगे-
Monroe इससे काफ़ी अधिक थीं. सदी की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में शुमार Monroe सिर्फ़ अपनी Sex Appeal के लिए ही प्रसिद्ध नहीं थी. 50 के दशक में उन्होंने पुरुष प्रधान फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना प्रोडक्शन हाउस खोला और Talented अभिनेता और अभिनेत्रियों को काम करने का मौका दिया. Monroe ने बहुत कम उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया और ज़्यादा फ़िल्मों में अपना योगदान नहीं दे पाईं.
हॉलीवुड की एक और अभिनेत्री हैं, Meryl Streep जिन्हें आपने फ़िल्मों में देखा ही होगा. Streep को इस सदी की सबसे Talented अभिनेत्री कहा जाता है. थियेटर से अपने करियर की शुरुआत करने वाली Meryl Streep 60 के दशक में फ़िल्मों में आईं.
ये हैं Meryl Streep-
ये दोनों अभिनेत्रियां अमीरों की शान बढ़ाने से कहीं ज़्यादा हैं. ये दोनों ऐसे समय पर सामने आईं, जब फ़िल्मों में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व काफ़ी कम था. Streep आज भी उतनी ही ख़ूबसूरत लगती हैं, जितना कि वो अपनी जवानी के दिनों में लगती थीं. वो कई औरतों के लिए प्रेरणा भी हैं, क्योंकि उन्होंने सुंदरता के तय मापदंडों के अनुसार चलना स्वीकार नहीं किया. 50-60 के दशक में हमारे यहां की फ़िल्मों में भी मधुबाला, मीना कुमारी जैसी ख़ूबसूरत अभिनेत्रियां थीं. मधुबाला को भारतीयी Marlyn Monroe भी कहा जाता था. वक़्त बीतता गया और ख़ूबसूरती के मापदंड भी बदल गये.
आज के दौर की बात करें, तो भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में जितनी भी ख़ूबसूरती क्यों न हो, जितना भी Talent क्यों न हो, यहां न कोई Marlyn Monroe हो सकती है, न कोई मीना कुमारी, न मधुबाला और न ही कोई Meryl Streep.
बॉलीवुड की ‘चांदनी’ ने इस तरह दुनिया को अलविदा कहेंगी ये किसी ने नहीं सोचा था. रविवार सुबह होने से पहले ख़बर आई कि बॉलीवुड अदाकारा श्रीदेवी की मृत्यु हो गई है. पहली बार तो किसी के लिए भी इस बात पर यक़ीन करना थोड़ा मुश्किल ही है.
दिन निकलते-निकलते कुछ और चौंकाने वाली ख़बरें सामने आने लगीं. कुछ लोग ये कहने लगे की श्रीदेवी की मृत्यु अचानक नहीं हुई थी. उनका शरीर अंदर से कमज़ोर हो चला था. नहीं, उन्हें कोई जानलेवा बीमारी नहीं थी.उन्होंने अपने शरीर के साथ कुछ ऐसा किया था जो बहुत कम लोग करने की सोचते हैं. श्रीदेवी एक ऐसी दुनिया से थीं, जहां चेहरे पर एक झुर्री भी मंज़ूर नहीं होती. 54 की उम्र में कम उम्र का दिखने के दबाव के नीचे दबकर उन्होंने भी 29 सर्जरी करवाई. चेहरे पर रौनक, छर्हरी काया के लिए कई तरह की दवाईयां खाना और सुईयां लेना उनकी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुका था. इतनी सारी सर्जरी से किसी का भी शरीर कितना कमज़ोर हो जायेगा, इसका अंदाज़ा हम लगा सकते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीदेवी बाथरूम में बेहोश हो गईं और बाथटब में डूबने से उनकी मौत हो गई. होटल स्टाफ़ का कहना है कि जब श्रीदेवी की मृत्यु हुई तब बॉनी उनके साथ थे. इतना ख़ूबसूरत होने के बावजूद बॉलीवुड के तय मापदंड़ों ने उन्हें इतना मजबूर कर दिया कि उन्होंने 29 बार सर्जरी करवाई.
आज आलम ये है कि ख़ूबसूरत और जवान दिखने की रेस में हर अभिनेत्री भाग रही है, न जाने उन्हें कहां पहुंचना है, क्या हासिल करना है? आज सबको Perfect बनना है, जिसके लिए अभिनेत्रियां अपनी जान का भी समझौता कर रही हैं. उनसे प्रेरित होकर जवान दिखने के लिए सर्जरी करवाने की भी होड़ लग गई है. न सिर्फ़ अदाकाराओ में, बल्कि आम नागरिकों में भी.
यक़ीन करना मुश्किल है कि उनके पति बॉनी कपूर ने भी उन्हें ख़ुद के साथ ऐसा करने से नहीं रोका. ये सच है कि अपने शरीर पर सबका अपना हक़ है, लेकिन कोई कितना मजबूर रहा होगा, अपनेआप से इतना नाख़ुश कि ख़ुद में 29 प्रकार के परिवर्तन करवाने का निश्चय कर ले?
अगर इंडस्ट्री में टिकना है तो चेहरों का चमकते रहना ज़रूरी है, ख़ासकर अभिनेत्रियों के चेहरों को, यही तो है बॉलीवुड की पहचान. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है रीमा लागू और सलमान ख़ान. दोनों की उम्र में कुछ वर्षों का फ़र्क था और रीमा को सलमान की मां की भूमिका निभानी पड़ी थी.
श्रीदेवी इस देश में कई लड़कियों और महिलाओं की प्रेरणास्त्रोत थीं. कई अभिनेत्रियों ने बताया है कि ‘हवा-हवाई’ और Mr.India के ‘काटे नहीं कटते ये दिन ये रात’ गाने से उन्हें प्रेरणा मिली. इन दोनों गानों में ही जादू किया है श्रीदेवी ने. ये सोचने वाली बात है कि वो हज़ारों लोग जो श्रीदेवी को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे इस भ्रम में रहते हैं कि 54 में भी वो 30 के दिख सकते हैं.
कई अन्य अभिनेत्रियों ने चुनी है कॉस्मेटिक सर्जरी की राह
श्रीदेवी ही नहीं. बॉलीवुड की कई सफ़लतम अभिनेत्रियों ने भी कॉस्मेटिक सर्जरी की राह चुनी है. अनुष्का शर्मा इतनी प्रतिभावान अदाकार हैं, पर उन्होंने भी सर्जरी का सहारा लिया. वाणी कपूर और आयशा टाकिया की सर्जरी के बाद के चेहरे की हक़ीक़त किसी से नहीं छिपी है. शिल्पा शेट्टी योग को बहुत प्रमोट करती हैं पर उन्होंने भी सर्जरी करवाई है. काजोल, जिसे कभी क्रांतिकारी अभिनेत्री के तौर पर देखा जाता है ने भी स्किन ट्रीटमेंट करवाया.
करीना ने साइज़ ज़ीरो को प्रमोट किया, जो कहीं से भी ख़ूबसूरती का पैमाना नहीं है. सदी की सबसे ख़ूबसूरत अभिनेत्रियां, Marlyn Munroe, मीना कुमारी, मधुबाला किसी का भी ज़ीरो फ़िगर नहीं था.
यही नहीं, तैमूर होने के बाद वापस से किसी तरह से ख़ुद को फ़िट किया और ये बयान दिया कि वो एक दिन भी Gym नहीं गईं. क्या ऐसा करना सही है? क्या लोगों के दिमाग़ में ऐसे भ्रम डालना ग़ैरज़िम्मेदाराना हरकत नहीं?
हम अभिनेत्रियों के निर्णय की आलोचना नहीं कर रहे, सिर्फ़ इतना कह रहे हैं कि किसी भी तरह की सर्जरी से शरीर को नुकसान पहुंचता ही है, तो फिर ज़रूरत क्या है?
क्या हज़ारों फ़िल्में बनाने वाली इंडस्ट्री अपनी अभिनेत्रियों को जस का तस अपनाने में असक्षम है?
50 के होकर 30 का दिखना, वो भी बिना सर्जरी और सुई के नामुमकिन है
देश की बहुत सी स्त्रियां हैं जो अभिनेत्रियों को अपना आदर्श मानती हैं, क्या ये अन्याय नहीं है कि उन्हें ये बताया जाये कि वो सिर्फ़ पानी पीकर और हेल्दी डायट लेकर 50 में भी 30 की दिख सकती हैं, क्योंकि असल में ऐसा होना नामुमकिन है. हमारा शरीर अमर नहीं है, इसकी भी अपनी सीमायें हैं, इसे इसी की तरह से रहने देने में हर्ज क्या है?
तुम सी ही तुम रहो, तुम ख़ूबसूरत हो!
किसी के लिए भी ख़ुद को बदलना क्यों ज़रूरी है? चाहे वो फ़िल्म इंडस्ट्री हो या शादी के लिए Perfect रिश्ता? गारेपन को ही ख़ूबसूरती का पैमाना बनता देख नंदिता दास ने 2013 में Black is Beautiful कैंपन शुरू किया था. लड़कियों और महिलाओं के लिए जिन्हें कभी भी ये लगा है कि उन्हें किसी और की तरह बनना है. हम नहीं चाहते कि कोई भी ख़ुद को कम समझे और कुछ ऐसा करे जिसका ख़ामियाज़ा बाद में भुगतना पड़े.
याद रखो, सुंदरता देखने वालों की आंखों में होती. बोटोक्स, सुईयां और सर्जरी से कोई भी बहुत दिनों तक सुंदर नहीं बन जाता.