नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी, यम चौदस भी कहा जाता है. इस साल नरक चौदस 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी और क्या है इसका महत्व.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके द्वारा बंदी बनाई गई 16000 कन्याओं को मुक्त कराया था. नरकासुर की कैद से मुक्त होने के बाद सभी कन्याओं ने कृष्ण भगवान से चिंता व्यक्त की अब समाज उन्हें नहीं अपनाएगा. इसलिए आप ही इस संकट से हमें बचाएं.
इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए कृष्ण जी ने उनसे शादी कर ली थी. नरकासुर के वध और 16000 कन्याओं की मुक्ति के उपलक्ष में ही नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन दीप दान करने की भी परंपरा है.
इस दिन यम की पूजा कर उन्हें ख़ुश करने की मान्यता है. कहते हैं कि प्रात: काल स्नान कर यम को तर्पण(दान) कर शाम को दीप दान करने से अकाल मृत्यु और नरक में जाने से मनुष्य बच जाता है.
नरक चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों की सफ़ाई कर स्नान करते हैं. उसके बाद श्रीकृष्ण भगवान के दर्शन करते हैं. शाम को दीप जलाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से लोगों के पाप कट जाते हैं और उन्हें सौंदर्य की प्राप्ति होती है.
इस बार नरक चतुर्दशी को अभ्यंग स्नान करने का समय है सुबह 5.15 से लेकर 6.29 मिनट तक. दीप दान करने का शुभ महुर्त शाम 6 बजे से लेकर 7 बजे तक है.
छोटी दिवाली से जुड़ा ये फ़ैक्ट आपको पता चल ही गया, अब इसे अपने दोस्तों से भी शेयर कर दो.
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