आज विश्व पर्यावरण दिवस है… ! सोशल मीडिया पर आज हर कोई सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पर्यावरण को बचाने की सलाह दे रहा है. कोई प्लास्टिक पर बैन लगाने की मांग कर रहा है, तो कोई नदियों और समुद्रों में कूड़ा-कचरा न फेंकने की अपील कर रहा है. पर आपको क्या लगता है कि केवल एक दिन के लिए इस गर्म-जोशी के साथ जागरूक होने से विश्व व्यापी पर्यावरण असंतुलन सन्तुलित हो जाएगा. जी नहीं, सालों से जिस पर्यावरण को हम दूषित करते आ रहे हैं, उससे पनपी ये विकराल समस्या सालों तक एकजुट होकर काम करने के बाद भी पूरी तरह नहीं ख़त्म होगी. शायद आपको पता होगा कि 2018 में विश्व पर्यावरण दिवस यानि आज के दिन का वैश्विक मेज़बान भारत है. और इस साल इसकी थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ है, जिसके तहत बढ़ती प्लास्टिक वेस्ट की समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया एकसाथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है. अब आपको ये तो बताने की ज़रूरत नहीं है कि प्लास्टिक वेस्ट की समस्या दिन पर दिन कितना विकराल और भयानक रूप धारण करती जा रही है. जलीय जीव हों या स्थलीय, या इंसान, ब्रह्मांड में मौजूद सूक्ष्तम जीव भी इसके दुष्प्रभाव से बचा नहीं है.

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ख़ैर, हम इस पर ज़्यादा लेक्चर न देते हुए आज आपको देश की ख़ूबसूरत जगहों के दर्शन कराने जा रहे हैं. दोस्तों छुट्टियां चल रहीं हैं, हर कोई कहीं न कहीं घूमने जा रहा है. कोई समुद्री तट देखने के लिए जा रहा है, तो कोई पहाड़ी इलाकों की ठंडक का लुत्फ़ उठाने के लिए उत्सुक है. हम सब घूमने जाते हैं, मौज-मस्ती करते हैं, खाते-पीते हैं, वहां पर जाकर ज़िन्दगी भर की ख़ूबसूरत यादों को समेटने की कोशिश करते हैं और अपने इस मिशन में कामयाब भी होते हैं. पर कभी सोचा है कि इन जगहों पर जाकर हम तो ख़ूबसूरत यादें बटोर लाते हैं, वहां के बाशिंदों को पैसे भी देते हैं. पर बदले में इन जगहों को ईनाम में क्या देकर आते हैं. नहीं सोचा है न, हम इनको इनकी बेइंतेहां सुंदरता की कीमत के रूप में कचरा-कूड़ा, प्रदूषण, गंदगी और कई तरह की समस्याएं मुफ़्त में देकर आते हैं.

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कभी-कभी मन में ये ख़्याल आता है कि अगर ये जगहें बोल पाती तो उनका पहला वाक्य यही होता कि हम तो अपनी ख़ूबसूरती की बड़ी भारी क़ीमत चुका रहे हैं, सैलानी हमारे पास आते हैं , हमको गंदा करते हैं और चले जाते हैं. क्यों वो हमको अपने घर की तरह साफ़ नहीं रहने देते, क्यों साल दर साल हमारी सुंदरता पर बदनुमा दाग़ लगाते जा रहे हैं? चलिए आज देखते हैं घूमने जाने के लिए इन जगहों को, जिनको हम प्रदूषित करके आते हैं.

1. पहाड़ देखने जाते हैं, कूड़े का पहाड़ छोड़ कर आते हैं.

2. सफ़ेद झरने निहारने जाते हैं, प्लास्टिक का नाला बना आते हैं.

3. पहाड़ों की हवा खाने जाते हैं, गाड़ियों का धुआं मिला कर आते हैं.

4. गंगा के पानी में पवित्र होने जाते हैं, गंगा को अपवित्र कर आते हैं.

5. घाट पर बैठने आते हैं, उसे बैठने लायक नहीं छोड़ते.

6. लहरों से खेलने Beach जाते हैं, कूड़े का खेल कर आते हैं.

7. इमारतों की ख़ूबसूरती निहारने जाते हैं, यहां ड्रॉइंग कर आते हैं.

8. तीर्थस्थल जाते हैं भक्तिमय होने के लिए, कॉन्डोम छोड़कर आ जाते हैं.

9. सोचते हैं ऐतिहासिक इमारतों के इतिहास को जानेंगे, अपना ही एक अलग इतिहास बनाकर आ जाते हैं.

इसमें कोई शक़ नहीं है कि हममें से ज़्यादातर लोग ये सब करते हैं, और अफ़सोस भी नहीं करते हैं. ये सब जगहें हमारे देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर हैं और इनको साफ़-सुथरा रखने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है.

हाल ही में ख़बर आयी थी कि शिमला के स्थानीय निवासियों को पीने के लिए या ज़रूरी कामों के लिए पानी नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं यहां के कैफ़ेज़ और रेटोरेंट्स वाले सैलानियों को वॉशरूम इस्तेमाल नहीं करने दे रहे हैं. यहां निवासियों को नाले का पानी सप्लाई किया जा रहा है.

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ये तो थी भारत की बात… अब दुनिया की बात करते हैं कुछ

आज ही एक ख़बर पढ़ी, जिसके अनुसार, थाईलैंड में एक व्हेल की मौत हो गई और उसकी ऑटोप्सी से इस बात का खुलासा हुआ कि उसके अंदर 8 किलोग्राम वजन के बराबर 80 प्लास्टिक पॉलीथिन निकले, जो उसकी मौत का कारण बने. आये दिन इस तरह की ख़बरें आ रही हैं. नदियों और समुद्रों में बहाया जाने वाला प्लास्टिक वेस्ट समुद्री जीवन के लिए काल बन रहा है.

आपको बता दें कि हर साल दुनिया भर के समुद्री तटों पर 9 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है जिसके कारण जलीय जीवों का जीवन और तटों की आबोहवा ख़राब हो रही है. कुछ दिनों पहले ही नेशनल जिओग्राफ़िक ने समुद्री जीवन का अस्तित्व बचाने के लिए इस 9 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे को कम करने के उद्देश्य से एक बहुआयामी पहल की है. इसके लिए इस मैगज़ीन में प्लास्टिक के इस्तेमाल से धरती के वातावरण पर होने वाले भयंकर असर को दिल दहला देने वाली फ़ोटोज़ के जरिए दिखाया है.

दुनिया भर में प्लास्टिक पॉल्यूशन की समस्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल समुद्र में 80 लाख टन प्लास्टिक फेंका जा रहा है. जिसका परिणाम ये होता है कि प्रतिवर्ष 10 लाख से ज़्यादा पानी में रहने वाले जीवों की मौत प्लास्टिक से होने वाले इंफ़ेक्शन के कारण हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया भर में जितना प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, उसका सिर्फ़ 9% प्लास्टिक ही रिसाइकिल हो पाता है.

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वैसे तो दुनिया भर के साइंटिस्ट्स तो प्लास्टिक की इस समस्या से हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए तरह-तरह के शोध कर रहे हैं, लेकिन हम सबका भी अपने पर्यावरण के प्रति कुछ कर्तव्य है न, तो क्यों न आज से ही इसकी शुरुआत की जाए. सबसे पहले तो प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल करना बिलकुल बंद करना होगा क्योंकि 1 प्लास्टिक बैग को डिकम्पोज़ होने में हज़ार साल का समय लगता है. तो समझ जाइये कि ये कितना ख़तरनाक है. और हां, अगर कहीं घूमने जाते हैं, तो भी प्लास्टिक का कूड़ा इधर-उधर फेंकने के बजाय एक जगह इकठ्ठा कर लीजिये और कूड़े दान में फेंकिए. इतना तो कर ही सकते हैं न हम और आप अपनी धरती और उसके पर्यावरण को बचाने के लिए. वरना वो दिन दूर नहीं जब इंसान का अस्तित्व बचाना भी मुश्किल हो जाएगा.