ज़रा सोचिये अगर एक बार फिर से विश्व युद्ध का बिगुल बज जाए और Thermonuclear War की शुरुआत हो जाए, तो दुनिया का क्या होगा. धरती पर मौजूद मानव सभ्यता का क्या होगा? लेकिन घबराइये मत, क्योंकि तकनीक और विज्ञान ने इसका भी उपाय निकाल लिया है. दरअसल, युद्ध के इतर बात करें, तो दुनिया की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है. आबादी को संतुलति तरीके से बसाने के लिए विकसित देशों ने अब धरती की वैकल्पिक जगह ढूंढ निकाली है.

भविष्य में अब वह दिन दूर नहीं, जहां शहर धरती के बदले पानी अर्थात समुद्र में तैरते दिखाई देंगे. दुनिया का पहला अस्थायी तैरता शहर (फ्लोटिंग सिटी) हमें रहने के लिए ऐसी जगह देगा, जहां किसी तरह की रेडियोएक्टिव बंज़र भूमि नहीं होगी. हर तरह से सुरक्षित होगा ये शहर. इस कॉन्सेप्ट से एक नई तरह की मानव सभ्यता का विकास भी होगा.

French Polynesia की सरकार ने अमेरिका की कंपनी The Seasteading Institute के साथ इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए एक करार किया है, जिसमें साल 2019 से ‘फ्लोटिंग शहर’ का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

The Seasteading Institute ने पांच साल तक न सिर्फ़ इंटरनेशनल वॉटर में रहने वाले स्थाई फ्लोटिंग ग्रुप्स के साथ समय बिताया है, बल्कि उस विचार पर शोध भी किया है.

इस परियोजना के निदेशक Randolph Hencken के मुताबिक, जहां भविष्य में दुनिया का पहला फ्लोटिंग शहर Polynesia के पानी में बनेगा, वहीं कंपनी ये उम्मीद कर रही है कि इससे एक नए तरह की सोसाइटी का निर्माण होगा.

Hencken का कहना है ‘हमलोग शेल्टर्ड वाटर की तलाश में हैं. मतलब ऐसा पानी, जहां पर सुरक्षित तरीके से आशियाना बनाया जा सके. हम नहीं चाहते कि खुले समुद्र में ये शहर विकसित करें. क्योंकि तकनीकी रूप से तो यह संभव है, मगर आर्थिक रूप से हम इसका बोझ नहीं उठा पायेंगे.’

आगे उन्होंने कहा, अगर हम किसी बड़ी टूटी चट्टान के पीछे कर सकते हैं, तो हम लोग प्लोटिंग प्लेटफॉर्म का डिज़ाइन भी तैयार कर सकते हैं, जिसका हम आर्थिक वहन कर सकते हैं और वो पानी भी हमारे इस शहर के लिए अनुकूल होगा.

हालांकि, जो कंपनी इस योजना पर काम करने वाली है उनकी मानें, तो वो अपनी जगह की तलाश के लिए सामाजिक चयन प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं और ऐसी लोकेशन रखना चाहते हैं, जो मानव जीवन के लिए अनुकूल हो. ये एक ऐसी कोशिश है, जो इससे पहले किसी ने नहीं की.

अगर विशेषज्ञों की टीम ऐसा करने में सफ़ल हो जाती है, तो सच में ये मानवीय सभ्यता के विकास में सबसे बड़ी छलांग होगी. अब इंसान धरती के अलावा इसी ग्रह पर पानी के ऊपर भी रहकर जीवन जीने की कल्पना कर सकता है और मानवीय सभ्यता तो बचाए रख सकता है.