हमारा भारत कैसा हो, कैसे हमारा देश आदर्श बने, इसे लेकर हम सभी के मन में एक तस्वीर ज़रूर होगी. हम हर समय यह सपना देखते रहते हैं कि हमारे देश में ऐसा हो जाए, वैसा हो जाए, तो कितना अच्छा होगा. यही बातें क़ानून को लेकर भी होती हैं कि अगर हमारे देश में यह क़ानून हो जाए, तो देश का कायाकल्प हो जाएगा. इसलिए भारत की वर्तमान स्थिति के मद्देनज़र यह कहा जा सकता है कि दुनिया के ये कुछ क़ानून आज के भारत की ज़रूरत हैं.

निश्चित तौर पर भारत एक महान और उदार देश है. इसलिए यहां हर तरह के सुधार की गुंजाइश है. यहां हमारे पास भारत के क़ानून में सुधार लाने के लिए कुछ विचार हैं, अगर भारत सरकार दुनिया के इन कानूनों को अपनाने पर विचार करे, तो हमारा देश दुनिया का न सिर्फ़ सबसे अच्छा राष्ट्र बन सकता है, बल्कि तरक्की की एक नई इबारत लिख सकता है.

1. समलैंगिक विवाह

साल 2001 में समलैंगिक विवाह क़ानून को लागू करने वाला नीदरलैंड दुनिया का पहला देश है. इसके बाद, अब तक बेल्जियम, स्पेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, पुर्तगाल, आयरलैंड और अमेरिका में भी समलैंगिक विवाह को क़ानूनी रजामंदी मिल चुकी है. समलैंगिकता मानव स्वभाव की एक सच्चाई है और अब यह समय आ चुका है कि भारत को भविष्य की चिंता करते हुए इस क़ानून की ओर अपने कदम बढ़ाने चाहिए.

2. मारिजुआना (गांजा) वैधीकरण

कोलंबिया अमेरिका का पहला ऐसा राज्य है, जिसने इसके सेवन को वैधता प्रदान की है. गांजे में न सिर्फ़ औषधीय गुण पाया गया है, बल्कि यह मनोरंजन और शौकिया तौर पर लेने वाले लोगों के लिए केमिकल ड्रग्स से भी ज़्यादा सुरक्षित होता है. भारत में युवाओं के बीच गांजा काफ़ी पॉपुलर है. चोरी-छिपे ड्रग्स और गांजा शहरों में काफ़ी आसानी से उपलब्ध होता है. सरकार को चाहिए कि क़ानूनी वैधता प्रदान कर इसे कर वस्तु की श्रेणी में ले आए.

3. वैवाहिक बलात्कार अवैध

यह सुनने में बहुत अटपटा लगता है कि क्या वैवाहिक जीवन में भी बलात्कार हो सकता है? लेकिन यह हक़ीक़त है. स्वीडन ‘वैवाहिक बलात्कार’ को आपराधिक क़ानून घोषित करने वाला पहला देश है. मलेशिया, ब्राजील, जापान, इटली और स्विट्ज़रलैंड आदि कुछ ऐसे देश हैं, जहां वैवाहिक बलात्कार पूरी तरह से अवैध है. ऐसा करने वालों के लिए दुनिया के कुछ हिस्सों में तो मौत की सज़ा का भी प्रावधान है.

यह भयावह है कि भारत में यह क़ानून नहीं है. यहां भी न जाने कितनी महिलाएं हर रोज़ इस क़ानून के अभाव में घुट-घुट कर जी रही हैं. इसे न लागू करने के पक्ष वाले लोगों का तर्क है कि इस क़ानून से परिवार की नींव खतरे में पड़ सकती है.

4. इच्छा-मृत्यु

स्विस सरकार अपने देश के नागरिकों को पूरी तरह से अपने जीवन को समाप्त करने की स्वतंत्रता देती है. लेकिन भारत में खुद सरकार ऐसे क़ानून के दुरुपयोग की आशंका से इसके विरोध में रही है. लेकिन यह भी सच है कि अपने देश और समाज में लंबे अरसे से इच्छा-मृत्यु को क़ानूनी अधिकार दिए जाने की मांग भी उठती रही है.

5. राजनीतिज्ञों की भर्ती अथवा आवश्यकता

नागरिकता और मतदान के लिए न्यूनतम उम्र के अलावा सिंगापुर, कनाडा और कुछ अन्य देशों में संसदीय चुनाव के लिए स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों की आवश्यकता होती है. यहां जिस व्यक्ति को एक वर्ष से अधिक जेल की सज़ा हो चुकी होती है, उसे संसदीय चुनाव से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है. इसलिए यहां अच्छी छवि वालों की बहाली होती है. अगर भारत में यह क़ानून हो जाए, तो देश का भला हो जाएगा.

6. वेश्यावृत्ति वैधीकरण

नीदरलैंड में वेश्यावृत्ति एक वैधानिक पेशा है. माना जाए तो वेश्यावृत्ति देश में सबसे संपन्न व्यवसाय है. लेकिन दुर्भाग्य से यह वैध नहीं है. अगर इसे वैधानिक मान्यता मिल जाए, तो इससे देश में काफ़ी कुछ बदला जा सकेगा. इससे मानव तस्करी रोकी जा सकती है. इस व्यवसाय पर टैक्स निर्धारित कर देश की अर्थव्यवस्था को भी गति दी जा सकती है.

7. बाल श्रम क़ानून

भारत में बाल श्रम के खिलाफ़ बच्चों की रक्षा करने के लिए कई क़ानून हैं, लेकिन एक भी उस तरह से कारगर नहीं है, जो बाल श्रम पर लगाम लगा सके. अगर भारत को इस राह में कुछ कामयाबी हासिल करनी है, तो जर्मनी और दुनिया के कई विकसित देशों की तरह अपने क़ानून बनाने होंगे और उसे उसी दृढ़ता और सख़्ती से लागू करना होगा.

8. पीने की न्यूनतम उम्र

यह हमारा दुर्भाग्य ही है कि भारत में 18 साल के लोगों को शादी करने की अनुमति दे दी जाती है, लेकिन जब तक वे 25 साल के न हों जाएं, तब तक उन्हें शराब से दूर रहने की सलाह दी जाती है. देश में सिर्फ़ गोवा में ही 18 साल की उम्र में शराब पीने की आज़ादी है. पीने की उम्र सीमा कम करने से शराब में यंगस्टर्स के गैर क़ानूनी ढंग से लगने वाले पैसे देश की तरक्की में जुड़ सकेंगे.

9. बोलने की आज़ादी

कल्पना कीजिए एक ऐसे देश की, जहां किसी धार्मिक या राजनैतिक पर्सनालिटी का मज़ाक बनाने या उसके खिलाफ़ कुछ बोलने के बाद भी न कोई गिरफ्तार हो या न ही उसकी हत्या हो. क्या ऐसा संभव है? भारत में ऐसा तभी संभव होगा, जब भारतीय संविधान अमेरिकी सरकार की तरह वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करे और उसे इस तरह से व्यवहार में लाए, जिससे अमेरिका की तरह ही लोगों को बोलने की पूर्ण आज़ादी मिल सके.

10. श्रम क़ानून

फ्रांस में यह क़ानून है कि एक सप्ताह में कोई भी व्यक्ति 35 घंटे से अधिक काम नहीं कर सकता और न ही शाम 6 बजे के बाद किसी काम के सिलसिले में फ़ोन और इमेल्स से जवाब दे सकता है. फ्रांस सरकार ने लोगों के व्यक्तिगत कामों और उनके व्यक्तिगत जीवन को ध्यान में रखकर यह क़ानून बनाया है. अगर भारत सरकार ऐसा करती है, तो हम भारतीयों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं होगा.

11. नि:शुल्क शिक्षा

चेक गणराज्य अपने देश में हर स्तर के नागरिकों के लिए नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराता है. हालांकि, भारत में भी नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है, पर वह सिर्फ़ कागज़ों पर ही दिखता है. चेक गणराज्य की तरह और भी कई देश हैं, जो कॉलेज तक युवाओं को नि:शुल्क शिक्षा देने की जिम्मेदारी उठाता है और उसे पूरी तरह से क़ानून के सहारे निर्वाह भी करता है. ऐसे ही क़ानून और सख़्ती से लागू करने वाली प्रक्रिया की भारत को ज़रूरत है.

12. पालतू जानवरों की पॉटी की सफ़ाई

सुनने में आपको भले ही यह अजीब लगे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में सड़कों और सार्वजनिक जगहों की साफ़-सफ़ाई के सिलसिले में एक क़ानून है. पालतू जानवरों मसलन कुत्तों के इधर-उधर पॉटी करने से फैली गंदगी को खत्म करने के लिए ऑस्ट्रेलिया क़ानून का सहारा लेता है. अगर किसी का जानवर पॉटी करता है, तो उसकी सफ़ाई की जिम्मेदारी उसके मालिक की होगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है, तो यह गैर क़ानूनी होगा और यह अपराध की श्रेणी में आता है.

13. प्राकृतिक प्रकाश का अधिकार

इंग्लैंड के ‘Right to Light’ क़ानून के मुताबिक, मानव जाति में होने के कारण मकान का मालिक पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश का हक़दार है. अगर कोई नई संरचना, पुरानी संरचना के प्रकाश को रोकती है, तो यह पूरी तरह से गैर-क़ानूनी है.

14. इको-फ्रेंडली पहल

फ्रांस में छतों के ऊपरी भाग को ढंक कर रखने का क़ानून है. पर्यावरण के लिहाज़ से धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए फ्रांस ने हाल ही में क्रांतिकारी कदम उठाते हुए एक नया क़ानून लागू किया है, जिसमें हर नए भवन संरचना की छत के ऊपरी भाग को ढंक कर रखना अनिवार्य है.

15. दुनिया के बड़े हिस्से में बीफ़ खाना वैध

भारत में भले ही बीफ़ पर शुरू से ही राजनीति होती रही हो, लेकिन यह बात बिलकुल सही है कि दुनिया के अधिकांश देशों में बीफ़ खाना बिलकुल वैध है. भारत में बीफ़ खाना या उसका व्यवसाय करना क़ानून क्या समाज की नज़र में भी पाप है.