किसी भी देश के स्मारक उसकी विरासत का अहम हिस्सा होते हैं. विदेशी आक्रमणकारी आमतौर पर युद्ध जीतने के बाद सबसे पहले उस देश को विरासत को खत्म करने की कोशिश करते थे. इसके लिए वो धार्मिक और दर्शनीय स्थानों को नुकसान पहुंचाने से भी नहीं चूकते थे. इसलिए जब भी युद्ध होता था, तो हमेशा शासक के सामने एक बड़ी चुनौती अपने देश के स्मारकों को बचाने की भी रहती थी. ऐसे कई स्मारक हैं, जो युद्ध के दौरान नष्ट हो गए. लेकिन कई ऐसे भी स्मारक हैं, जो सदियों से सुरक्षित हैं.

क्या आपके पता है कि दुनिया का सातवां आश्चर्य, ताजमहल युद्ध के दौरान कैसे सुरक्षित रहा? आइए हम आपको बताते हैं.

1. युद्ध के दौरान ताजमहल की सामने से ली गई तस्वीर

2. बमबारी से बचाने के लिए, बांस का इस्तेमाल किया गया.

1942 के दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सरकार को लगा कि ताजमहल, जर्मनी (और जापान भी) के बमबारी का निशाना बन सकता है. इससे बचाव के लिए तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने बांस की मोटी परत बिछवाई, जिससे ऊपर से देखने पर ताजमहल का सिर्फ़ गुम्बद दिखाई देता था. बाकी ताजमहल का मुख्य हिस्सा बांस से ढ़का रहता था. भारत सरकार ने भी 1965 और 1971 में ताजमहल की सुरक्षा के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया, जब वो पाकिस्तान से युद्ध कर रहा थी.

3. अधिकारियों ने ताजमहल की सुरक्षा का काम ग्रामीणों के साथ मिलकर किया.

4. ऊपर से देखने पर दिखता था बांस का ढेर.

5. बांस दिखने से बचाता था, ताजमहल को.

बांस से बने मचान का उद्देश्य ताजमहल को दिखने से बचाना था. ऊपर से देखने पर सिर्फ़ बांस ही दिखता था. ध्यान देने वाली बात है कि उस समय कोई सटीक जीपीएस या उपग्रह नहीं था, जिससे की लक्ष्य की सही जानकारी मिले.

6. युद्ध के समय, एक सिपाही की ताजमहल के साथ की तस्वीर.

ताजमहल को युद्ध के दौरान गुप्त रखने की हर संभव कोशिश की गई. जिसका परिणाम है कि ताजमहल आज सुरक्षित बचा हुआ है. ताजमहल की उस समय की ली गई, ये सभी तस्वीरें बेहद दुर्लभ हैं.