Punjab Village awarded as the Best Tourism Village of The Year : भारत में ऐसे कई टूरिस्ट स्पॉट्स हैं, जहां देसी ही नहीं विदेशी पर्यटकों की भी भारी भीड़ देखने को मिलती है. इसके चलते आज कल ज़्यादातर लोग उन जगहों पर जाना प्रेफ़र कर रहे हैं, जो ख़ूबसूरत के साथ ही शांत भी हो और ज़्यादातर जनता ने उसे अब तक एक्सप्लोर ना किया हो.

अगर आप भी कोई ऐसी ही जगह ढूंढ रहे हैं, तो पंजाब (Punjab) का ये छोटा सा गांव आपका इंतज़ार कर रहा है. इस गांव को सांस्कृतिक और सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए हाल ही में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने ‘बेस्ट टूरिज़्म विलेज ऑफ़ द ईयर’ (Best Tourism Village of The Year) का अवार्ड दिया है. इस अवार्ड का मकसद ग्रामीण पर्यटन स्थलों को पहचानना है और इस साल 31 राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों में से 750 गांवों ने इसमें भाग लिया था. इसमें से सिर्फ़ 35 गांव शॉर्टलिस्ट हुए. इनका सेलेक्शन सतत विकास लक्ष्य, सांस्कृतिक और विरासत संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता और पर्यटन विकास पर आधारित था.

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इनमें से पंजाब के गुरदासपुर में स्थित नावनपिंड सरदारन गांव (Nawanpind Sardaran Village) में बाज़ी मारी और इसें साल के बेस्ट पर्यटन गांव का अवार्ड दिया गया. आइए आपको इसके बारे में बता देते हैं.

19वीं शताब्दी में बना था ये गांव

पंजाब के नेशनल हाईवे 54 से 5 किलोमीटर दक्षिण में आपको नावनपिंड सरदारन गांव मिलेगा, जिसे कई पॉपुलर डेस्टिनेशन जैसे वैष्णोदेवी मंदिर, कांगड़ा, धर्मशाला, डलहाउज़ी और बाकी टूरिस्ट स्पॉट्स का हेरिटेज स्टॉप कहा जाता है. यदि आप अमृतसर से जा रहे हैं तो हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की यात्रा करते समय ये गांव बिल्कुल सही जगह स्थित है. इसे 19वीं शताब्दी में नारायण सिंह ने बनवाया था. ये गांव अपनी कोठी के लिए जाना जाता है, जो एक एक आलीशान हवेली है, जो कृषि गतिविधियों के केंद्र के साथ-साथ निवास के रूप में भी काम करती थी. इसको नारायण सिंह के बेटे बेंत सिंह ने 1886 में बनवाया था. कोठी के अलावा पीपल हवेली, जोकि 140 साल पहले बनवाई गई थी, वो भी इस गांव का एक और आकर्षण है. इसको टूरिस्ट के लिए रीनोवेट और ट्रांसफॉर्म किया गया है. इस संरक्षण का श्रेय संघ बहनों को जाता, जिन्होंने अपने पैतृक घरों को बनाए रखने और अपने गांव में स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया.

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पांच बहनें और उनके पुश्तैनी मकान

इन दोनों हेरिटेज जगहों की देख-रेख पांच बहनें- गुरसिमरन कौन संघ, गुरमीत राय संघ, मनप्रीत कौर संघ, गीता संघ और नूर संघ करती हैं. बातचीत का सफर तब शुरू हुआ जब संरक्षण वास्तुकार, गुरमीत राय संघ ने लगभग 15 साल पहले अपने पैतृक घर के नवीनीकरण का सुझाव दिया. लेकिन ये बहनें इन संपत्तियों के संरक्षण और रखरखाव में अपने प्रयासों के लिए ही नहीं जानी जाती हैं. वे गांव में स्थानीय समुदायों का एक सक्रिय हिस्सा भी हैं और गांव के भीतर रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की चैंपियन हैं.

गुरसिमरन कौर संघ गांव में बकरी पालन का व्यवसाय चलाती हैं, बिज़नेस को बढ़ाने में मदद के लिए स्थानीय युवाओं को नियुक्त करती हैं. दूसरी ओर, गीता संघ का बारी कलेक्टिव नामक एक ब्रांड है, जो स्थानीय शिल्प बनाने और बढ़ावा देने के लिए गांव की महिलाओं के समूहों को नियुक्त करता है. उनकी बहनों ने कोठी और पीपल हवेली के रखरखाव में मदद के लिए स्थानीय महिलाओं को भी नियुक्त किया है, जिन्हें पर्यटकों के लिए होमस्टे में बदल दिया गया है. मनप्रीत कौर संघ उनकी ऑनलाइन बुकिंग का काम देखती हैं. सबसे छोटी बहन नूर संघा पेशे से वकील हैं और परिवार के प्रयासों में अपनी विशेषज्ञता प्रदान करती हैं.

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गांव का है बॉलीवुड कनेक्शन

साल 2019 में, इस गांव ने ध्यान तब आकर्षित किया, जब अभिनेता सनी देओल (Sunny Deol) ने कुछ समय के लिए यहां का दौरा किया और गांव और हवेलियों की विशिष्टता से मंत्रमुग्ध होकर वहीं रहने लगे. बाद में उनके पिता, बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र (Dharmendra) भी उनके साथ शामिल हो गए, जिन्होंने उस स्थान पर एक संभावित फ़िल्म प्रोजेक्ट के बारे में बात की.

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