Dettol History: साफ़-सफ़ाई और हाइजीन अपने आसपास के वातावरण और शरीर की शुद्धि के लिए बेहद ज़रूरी है. इसी हाइजीन को बनाए रखने में क़रीब 80 सालों से हमारा साथ डेटॉल ब्रांड (Dettol) बखूबी दे रहा है. आपको ये लगभग हर घर में साबुन, क्रीम या लिक्विड के रूप में रखा मिल जाएगा. साल 1937 से ये भारत में आम लोगों की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बना हुआ है. इस बीच इसको टक्कर देने के लिए समय के साथ कई अन्य ब्रांड के प्रोडक्ट्स मार्केट में आए, लेकिन इसके बावजूद इस ब्रांड पर लोगों का विश्वास अटल रहा.
आइए आज आपको हर भारतीय के फ़ेवरेट ब्रांड बन चुके डेटॉल (Dettol History) के बनने की दिलचस्प कहानी के बारे में बताते हैं.
Dettol History
क्या आप जानते हैं डेटॉल के पिता का नाम?
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ऐसे हुआ डेटॉल का मेडिकल में परिचय
साल 1933 में हुआ क्लिनिकल ट्रायल
साल 1933 में डेटॉल ASL के ट्रायल लंदन के क्वीन चार्लेट मैटरनिटी अस्पताल में शुरू हो गए. इन दो सालों के ट्रायल में, कुछ बेहतरीन रिज़ल्ट्स दिखाई दिए. नतीजन ब्लड इंफेक्शन के केस 50 परसेंट तक कम हो गए. डेटॉल एक बड़ी सफ़लता साबित हुई और मेडिकल समर्थन के साथ मार्केट में लॉन्च हो सकती थी. पहले इसे फार्मेसी में लॉन्च किया गया और फिर इसकी UK में सामान्य बिक्री होने लगी
ऐसे हुआ पूरी दुनिया में विस्तार
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान निभाया अहम क़िरदार
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डेटॉल ने अस्पतालों में अहम रोल प्ले किया. ये ब्रिटिश प्रयासों के लिए इतना महत्वपूर्ण था कि इसे यूके सरकार द्वारा ‘आवश्यक’ माना गया और फैक्ट्री को अस्थायी रूप से इसके निर्माण की सुरक्षा के लिए ‘कम कमजोर स्थान’ पर ले जाया गया. युद्ध के बाद ये यूरोप में भी अवेलेबल हो गया और आज ये 120 देशों में उपलब्ध है. डेटॉल की महक दुनिया भर के लाखों लोगों की यादों से जुड़ी हुई है. चाहे चोट लगी हो या चाहे छोटे बच्चों को नहलाना हो, ये ब्रांड लगभग हाइजीन से जुड़े हर काम में यूज़ किया जाता है. कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी इसने काफ़ी अहम क़िरदार निभाया है.
आज डेटॉल को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है.