भारत में राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है. वहीं प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है. भारतीय संविधान के अनुसार देखा जाये, तो देश चलाने की असली पावर प्रधानमंत्री के पास ही होती है. लेकिन राष्ट्रहित के अधिकतर मुद्दों पर राष्ट्रपति की सहमति भी ज़रूरी होती है. राष्ट्रपति तीनों सेनाओं (जल, थल और वायु) का प्रमुख भी होता है. अपातकालीन स्थिति में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति की सलाह से ही ज़रूरी और अहम निर्णय लेता है.

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मंत्रीमंडल में हेरफ़ेर, सत्ता पलट, युद्ध-शांति और आपातकालीन स्थिति में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के निर्णय महत्वपूर्ण होते हैं. हांलाकि, हम में से कई लोगों को लगता है कि बड़े पद पर बैठने वाले लोग सिर्फ़ ऑर्डर देते हैं और आराम करते हैं, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है. इन दोनों ही पदों पर बैठे लोगों के पास देश चलाने की बड़ी और अहम ज़िम्मेदारी होती है. इसलिये वो एक आम इंसान की तरह छुट्टियां लेकर आराम से नहीं बैठ सकते हैं.

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आइये जानते हैं कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आराम करने के लिये कितना समय मिलता है-

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देश के राष्ट्रपति के पास कितनी छुट्टियां होती हैं? 

चूंकि. राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक होते हैं, इसलिये उन्हें कई सारी सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं. वेतन के रूप में उन्हें हर महीने 5 लाख रुपये मिलते हैं. इसके अलावा भोजन, कर्मचारियों और राष्ट्रपति से मिलने वाले मेहमानों के स्वागत के लिये अलग से पैसा दिया जाता है. घर और मुफ़्त चिकित्सा सुविधा के अलावा उन्हें कुछ छुट्टियां भी मिलती हैं. प्रेसिडेंट छुट्टी लेकर हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलायम और शिमला स्थित रिट्रीट बिल्डिंग में आराम के कुछ पल बिता सकते हैं.  

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क्या प्रधानमंत्री भी ले सकते हैं छुट्टी? 

कुछ समय पहले एक व्यक्ति ने पीएम नरेंद्र मोदी की आधारिक छुट्टियों को लेकर एक RTI फ़ाइल की थी. जिसके जवाब में PMO ने कहा था कि देश के पीएम हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं. जानकारी के अनुसार, देश के प्रधानमंत्री के पास किसी प्रकार की आधिकारिक छुट्टी नहीं होती है.  

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दोनों की ग़ैरमौजूदगी में कौन संभालता है इनका कार्यभार?

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति की ग़ैरमौजूदगी में उनके कार्यभार का जिम्मा उप-राष्ट्रपति के पास होता है. वहीं अगर प्रधानमंत्री किसी कारणवश छुट्टी पर हैं, तो उस केस में अपना कार्यभार पार्टी के किसी अन्य सदस्य को सौंप सकते हैं.