Indian Tiger Naming Process : आप चिड़ियाघर में तो कभी ना कभी गए ही होंगे. यहां आपको हर तरह के पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं. हालांकि, देश के ऐसे बेहद कम ही चिड़ियाघर हैं, जहां आपको बाघ देखने को मिलेंगे, क्योंकि इनकी संख्या देश में धीरे-धीरे कम हो रही है. हाल ही में, केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने दिल्ली के चिड़ियाघर में सफ़ेद बाघों के दो बच्चों को छोड़ा था. इन्हें शावक कहा जाता है और इनके नाम अलग-अलग होते हैं. मंत्री ने इसमें मादा शावक का नाम ‘अवनी’ रखा, वहीं बाघ के दूसरे बच्चे नर शावक का नाम ‘व्योम’ रखा गया.

क्या आप जानते हैं कि बाघों के ये यूनिक नाम आखिर रखता कौन है? क्या इसको रखने की कोई प्रोसेस है? आइए आपको इन सभी सवालों के जवाबों के बारे में थोड़ा डीटेल में बताते हैं.

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देश में सिर्फ़ ये लोग ही रख सकते हैं बाघों के नाम

जानकारी के लिए बता दें कि देश में हम जैसे आम इंसान या चिड़ियाघर के प्रबंधक को बाघ के नाम रखने की इजाज़त नहीं है. देश में बाघों के नाम आमतौर पर सरकार या प्रशासन की ओर से ही रखे जाने की परंपरा है. पिछले साल 2022 में बिहार में विश्व बाघ दिवस के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने ख़ुद नर शावकों का नाम मगध, केसरी और विक्रम जबकि मादा शावक का नाम रानी रखा था.

Indian Tiger Naming Process

जंगल में बाघों के नाम रखे जाने की अलग है प्रक्रिया

वहीं, जंगल में बाघों के नाम रखे जाने की अलग प्रक्रिया होती है. ये नाम वन विभाग के लोग उनकी पहचान, आसपास के गांव वालों की बातें, उनकी हरकतें और अफ़सरों के ऑब्जरवेशन के आधार पर दिया जाता है. वन विभाग के पास हर बाघ की कोडनेम T1, T2 आदि के नाम से डीटेल होती है. हालांकि, इनका पुकारने वाला नाम अलग होता है.

चेहरे पर चिन्ह या विशेष गुण के आधार पर भी रखा जाता है नाम

जंगल में बाघों का नाम चेहरे पर चिन्ह या किसी विशेष गुण के आधार पर भी रखा जाता है. उदाहरण के तौर पर रणथम्बौर नेशनल पार्क में एक बाघिन है, जिसके ऊपर एक फ़िल्म भी बन चुकी है. इसे नेशनल अवार्ड भी मिला था. साल 2016 में 20 साल की उम्र में इसकी मौत हो गई थी. उसके चेहरे पर मछली के आकार का चिन्ह था, जिसके चलते उसका नाम मछली रखा गया था. इसके अलावा मछली की बेटी टी-17 का नाम सुंदरी है. वहीं टी-14 की बाघिन लैला को अपना नाम इसलिए मिला, क्योंकि वो अपने पोज़ से दर्शकों का मन मोह लेती थी. टी-6 बाघ के पेट पर डॉलर जैसा निशान था, इसलिए उसका नाम डॉलर रख दिया गया. इसके अलावा ‘उस्ताद’, ‘माला’, ‘जंगली’, ‘सितारा’ भी कुछ मशहूर बाघों में से एक हैं.

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विदेशी चीतों के नामकरण के लिए आयोजित की गई थी प्रतियोगिता

25 सितंबर 2022 में मन की बात कार्यक्रम में विदेश से आए चीतों के नाम सुझाने के लिए पीएम मोदी ने कहा था. इसके लिए एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी. इसके कुछ समय बाद मंत्री भूपेन्द्र यादव ने ट्वीट करते हुए बताया था कि साउथ अफ्रीका और नामीबिया से आए चीतों के नाम रखे जा चुके हैं. ये नाम आशा, पवन, नभ, ज्वाला, गौरव, शौर्य, धात्री, दक्ष, वायु, अग्नि, गामिनी, तेजस, वीरा, सूरज, धीरा, उदय, प्रभाष और पावक हैं.