Mumbai Kurla Name Fact: भारत देश में जितने राज्य हैं उनकी उतनी कहानियां हैं. किसी राज्य को कोई चीज़ बहुत फ़ेमस है तो किसी राज्य के नाम के पीछे कोई दिलचस्प कहानी है. जैसे, कानपुर का चमड़ा, अलीगढ़ के ताले, बिहार की मधुबनी आर्ट आदि. कुछ राज्य रोचक कहानी के धनी हैं इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र (Maharashtra), जिसका मुंबई (Mumbai) शहर सपनों की नगरी के नाम से फ़ेमस है. इसी नगरी में है एक इलाक़ा, जिसका नाम है कुर्ला (Kurla). कुर्ला इलाक़े के नाम के पीछे की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है.
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कुर्ला उद्योगों की वजह से फ़ेमस है, लेकिन इसका नाम कैसे पड़ा ये जान लेंगे तो चौंक जाएंगे. इसके नाम के पीछे की कहानी केकड़े से जुड़ी है तो चलिए जानते हैं कुर्ला का केकड़ा कनेक्शन.
News 18 की रिपोर्ट में Straying Around नाम से मशहूर इंटरनेट ब्लॉग के लेखक अबोध ने इस नाम के पीछे की कहानी बताई.
मुंबई जब बॉम्बे हुआ करता था उस समय इस इलाक़े में बहुत पानी भर जाता था, जिससे यहां केकड़े पनपने लगते थे. केकड़े को बम्बइया भाषा में ‘कुर्ली’ कहते हैं. केकड़े निकलने की वजह से लोगों ने इलाक़े को कुर्ली कहकर बुलाना शुरू कर दिया. धीर-धीरे यही नाम इस इलाक़े की पहचान बन गया.
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केकड़ों से नहीं कुर्ला का संबंध भारतीय रेलवे से भी है. दरअसल, मुंबई के उपनगर कुर्ला पर 1534 से 1782 तक पुर्तगालियों का कब्ज़ा था. 1548 में, कुर्ला पुर्तगाली भारत के राज्यपाल द्वारा पुर्तगाली सैनिक Antonio Pessao को उनकी सैन्य सेवाओं के लिए पुरस्कार के रूप में दिए गए 6 गांवों में से एक था. बाद में एक समझौते के तहत 1782 को सालबाई की संधि हुई और कुर्ला ईस्ट इंडिया कंपनी के नेतृत्व में आ गया.
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इसके बाद,1890 तक ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे और ठाणे के बीच ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (जिसे भारतीय मध्य रेल के नाम से जाना जाता है.). इसका मुख्यालय बंबई के बोरी बंदर में था. इसी रेलवे का कुर्ला एक प्रमुख स्टेशन था, जो 1853 में ब्रिटिश भारत में पहली रेलवे लाइन थी. इसी ऐतिहासिक धरोहर को संभालते हुए, कुर्ला में आज भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है.
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उद्योगों से पहले कुर्ला पत्थर की खदानों की वजह से जाना जाता था, जिन पत्थरों से यहां की दो फ़ेमस इमारतें प्रिंस ऑफ़ वेल्स संग्रहालय और जनरल पोस्ट ऑफ़िस बनाए गए हैं.
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20वीं शताब्दी की शुरुआत में कुर्ला मिल उद्योग रूप में विकसित होने लगा उस समय यहां पर दो कॉटन मिल्स खोली गईं, जिनमें एक धरमसी पंजाबभाई है, जो बॉम्बे प्रेसीडेंसी में सबसे बड़ी कॉटन कताई और बुनाई मिल है, जिसमें 92,094 स्पिंडल और 1,280 करघे (Looms) हैं. वहीं दूसरी मिल का नाम कुर्ला स्पिनिंग एंड वीविंग मिल था. काफ़ी लंबे समय तक ये दोनों मिल्स कुर्ला की पहचान रही हैं.