Jadav Payeng AKA The Forest Man of India: असम (Assam) के जोरहाट में एक द्वीप है जिसका नाम है माजुली (Majuli). इस द्वीप पर बहुत घना जंगल है जिसे मोलाई जंगल के नाम से जाना जाता है. टूरिस्ट भी इस द्वीप अब घूमने आते हैं. मगर ये द्वीप कभी बंजर रेत का टीला हुआ करता था. एकदम सुनसान और विरान, पेड़-पौधों से खाली.

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इसे लहलहाते और हरे-भरे जंगल में तब्दील किया है एक इंसान के ज़ुनून ने. इन्हें दुनिया ‘फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’ (Forest Man Of India) के नाम से जानती है.

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पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं जादव पायेंग (Jadav Payeng) 

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‘फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित इस शख़्स का नाम है जादव पायेंग (Jadav Payeng). माजुली द्वीप पर ही इनका बसेरा है. ये अपने परिवार के साथ यहां कई वर्षों से रह रहे हैं. वो रोज़मर्रा के सामान के लिए इस जंगल पर ही निर्भर हैं. वो बाहर यानी बाज़ार से बहुत कम ही चीज़ें ख़रीद कर इस्तेमाल करते हैं.

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लगा चुके हैं 4 करोड़ से अधिक पेड़

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ये जंगल जो देश-विदेश में इतनी ख्याति प्राप्त कर रहा है उसे बसाने का श्रेय पायेंग को ही जाता है. ये अब तक 4 करोड़ से अधिक पेड़ लगा चुके हैं और असम के कृषि विश्वविद्यालय ने इन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित भी किया है. माजुली द्वीप 1360 से भी अधिक एकड़ में फैला है और इसके जंगल में बाघ, हाथी और गैंडे जैसे जानवरों के साथ हज़ारों पक्षी रहते हैं. ये सब हुआ पायेंग के ज़ुनून और जज़्बे के कारण. 

इस दर्दनाक हादसे ने किया प्रेरित

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लगभग 37 साल पहले ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस द्वीप पर बाढ़ आई थी तो यहां जान बचाने के लिए बहुत सारे जलचर आ पहुंचे पानी के साथ. वो बिना खाना और छांव के धूप में यहां तड़पकर मरने को मजबूर हो गए. ये नज़ारा नौजवान जादव पायेंग (Jadav Payeng) ने अपनी आंखों से देखा और इसे देख बहुत दुखी हुए. लोगों से बात की तो पता चला कि अगर उस द्वीप पर जंगल होता या पेड़ होते तो शायद उनकी जान बच जाती.   

अपने दम पर बसा दिया घना जंगल

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ये बात उनके दिल पर मानो छप सी गई, फिर क्या था वो हर रोज़ इस द्वीप पर अपने झोले में कुछ पौधे लेकर जाते और उन्हें वहां रोप आते. ये सिलसिला काफ़ी सालों तक चलता रहा. उन पेड़ पौधों की सिंचाई और देखभाल भी की पायेंग ने. कुछ ही समय में यहां हरा भरा जंगल खड़ा हो गया. इस जंगल की ख़बर लोगों में फैलने लगी तब एक पत्रकार को इस मैन मेड फ़ॉरेस्ट यानी मानव निर्मित जंगल के बारे में पता चला. 

इस तरह हुए फ़ेमस

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पहली बार में तो उसे विश्वास नहीं हुआ और इसे देखने के लिए वो माजुली पहुंच गया. यहां उसने जो अपनी आंखों से देखा उसे उसपर विश्वास नहीं हो रहा था. पहले तो यहां दूर-दूर तक रेत ही रेत हुआ करती थी. अब यहां जंगल कैसे हो गया और जंगली जानवर कैसे बस गए यहां. उस रिपोर्टर के सारे सवालों के जवाब जादव पायेंग (Jadav Payeng) ने दिए और अपनी पूरी कहानी साझा की. ये कहानी पहले असम और फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई. 

छप चुकी है इनके ऊपर बुक

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उनके इस अद्भुत कारनामे के लिए सरकार ही नहीं पूरी दुनिया ने इनको सम्मानित किया है. इन्हें मेक्सिको से भी अपने यहां जंगल बसाने के लिए आमंत्रित किया गया था. इनके ना पर एक बुक The Boy Who Grew a Forest भी छप चुकी है. यही नहीं इनकी कहानी एक डॉक्यूमेंट्री के रूप में भी लोगों के सामने आ चुकी है.   

जादव पायेंग का कहना है अगर सरकार उन्हें कोई और जगह दे तो वो उसे भी जंगल में बदल देंगे. सच में क्या कमाल के शख़्स हैं जादव. इनकी कहानी को और भी लोगों तक पहुंचाने की ज़रूरत है, तो शेयर ज़रूर करें.