World Heritage Sites: हमारा देश प्राचीन और सांस्कृतिक इमारतों से भरा पड़ा है, जो यहां आने वाले टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र हैं इसके अलावा यहां रहने वाले लोग भी इन इमारतों को देखना पसंद करते हैं. वैसे आपने यहां की बहुत सारी हेरिटेज साइट्स जैसे ताजमहल, लाल क़िला और क़तुब मीनार ये सब तो देखा होगा. मगर इनके अलावा भी हमारे देश में बहुत सी World Heritage Sites हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे. ये जगहें और इमारतें जितनी ख़ूबसूरत है उतनी ही आकर्षक भी.
आज यानि 18 अप्रैल को UNESCO द्वारा हर साल ‘World Heritage Day’ मनाया जाता है. इसी मौक़े पर आपको इन छुपी हुई इमारतों (World Heritage Sites) के बारे में बताते हैं:
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World Heritage Sites
1. कंचनजंगा नेशनल पार्क (Khangchendzonga National Park), हिडेन लैंड
कंचनजंगा नेशनल पार्क भारत के सिक्किम में स्थित है. इस उद्यान का कुल क्षेत्रफ़ल 1784 वर्ग किमी. है, जो कि सिक्किम के कुल क्षेत्रफल का 25.14% है. यहां पर कस्तूरी हिरण, हिम तेंदुए और हिमालय तरह जैसे वन्यजीव इस पार्क में देखने को मिलते हैं.
2. आगरा का क़िला (Agra Fort), Mighty Bastion
आगरा का क़िला UNESCO द्वारा घोषित World Haritage Site है. ये किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है. ये भारत का सबसे महत्वपूर्ण क़िला है. इस क़िले में भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अक़बर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे. इसके लगभग 2.5 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में ही विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताज महल मौजूद है.
3. Convents and Churches of Goa: Portuguese Touch
Convents and Churches of Goa पिछले 30 सालों से यूनेस्को लिस्ट में शामिल है. यहां पर हर साल कई हज़ार लोग आते हैं, लेकिन उनमें से बहुत कम इस शहर का कल्चरल साइड देखने जाते हैं.
4. वेस्टर्न घाट (Western Ghats), फ़ॉरेन वंडरलैंड
भारत के दक्षिण में पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट (सह्याद्रि) कहते हैं. ये पर्वतीय शृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ़ 1600 किमी. लम्बी है, जिसकी ऊंचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ने के साथ बढ़ती है.
5. रानी की वाव (Rani Ki Vav), Stories in Stone
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है. इसे जुलाई 2018 में RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा ₹100 के नोट पर चित्रित किया गया है और 22 जून 2014 को इसे UNESCO के World Heritage site में सम्मिलित किया गया. पाटण को पहले ‘अन्हिलपुर’ के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी थी.
6. अनंतपुरा लेक टेम्पल (Ananthapura Lake Temple), केरल
ये अद्भुत और बेहद ख़ूबसूरत अनंतपुरा लेक टेम्पल केरल स्थित कासरगोड ज़िले के अनंतपुर गांव में स्थित है. इसे अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की रखवाली एक ऐसा मगरमच्छ करता है, जो कभी मांस नहीं खाता है.
7. भीमबेटका गुफ़ाएं (Bhimbetka Gufa), मध्य प्रदेश
भीमबेटका गुफ़ाएं भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में स्थित हैं. गुफ़ाएं चारों तरफ़ से विंध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध ‘नव पाषाण काल’ से है.
8. चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स (Chandigarh Capitol Complex), पंजाब
चंडीगढ़ कैपिटल कॉम्प्लेक्स भारत के चंडीगढ़ शहर के सेक्टर-1 में स्थित ली कोर्बुज़िए द्वारा डिजाइन किया गया एक UNESCO विश्व विरासत स्थल है. ये लगभग 100 एकड़ ज़मीन क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें तीन इमारतें, तीन स्मारक और एक झील है, जिनमें विधान सभा, सचिवालय, उच्च न्यायालय, मुक्त हस्त स्मारक, ज्यामितीय पहाड़ी और टॉवर ऑफ़ शैडोज़ शामिल हैं.
9. विक्टोरिया टर्मिनस (Victoria Terminus), मुंबई
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस (Victoria Terminus) कहा जाता था. इसके अलावा इसे वी.टी और सी.एस.टी. से भी जाना जाता है. ये भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है. ये भारत के बिज़ी स्टेशनों में से एक है. इस स्टेशन की इमारत विक्टोरियन गोथिक शैली में बनी है.
10. गोल गुम्मट (Gol Gumbaz), बीजापुर
गोल गुम्मट या गोल गुम्बद बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह का मक़बरा है और बीजापुर, कर्णाटक में स्थित है. इसको फ़ारसी वास्तुकार दाबुल के याकूत ने सन् 1656 में बनवाया था. हालांकि मूल रूप में साधारण निर्माण होने पर भी अपनी स्थापत्य विशेषताओं के कारण दक्षिण वास्तुकला का विजय स्तंभ माना जाता है.
आपको बता दें कि ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ माउंटेन्स एंड साइट द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में 18 अप्रैल,1982 को ‘World Heritage Day‘ मनाने का सुझाव दिया गया था. इसे कार्यकारी समिति द्वारा मान लिये जाने पर नवंबर,1983 में यूनेस्को के सम्मेलन के 22वें सत्र में हर साल 18 अप्रैल को World Heritage Day मनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया.