Trains Speed At Night : भारतीय रेलवे (Indian Railways) वास्तव में देश की रीढ़ की हड्डी है. हर दिन लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ट्रेन से सफ़र करते हैं. हम सभी ने कभी ना कभी ट्रेन से सफ़र ज़रूर किया होगा. खिड़की वाली सीट पर बैठकर आसपास के ख़ूबसूरत नज़ारे देखना, चाय की चुस्की मारना, स्टेशन पर लोगों को आते-जाते देखना, ट्रेन का सफ़र का भी अपना एक अलग ही मज़ा है. पर क्या आपने कभी ट्रेन से रात में सफ़र किया है? अगर हां, तो आपको बता दें कि ट्रेन दिन के मुक़ाबले रात में ज़्यादा तेज़ी से भागती हैं. 

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आइए आज आपको इसके पीछे की मुख्य वजह बताते हैं.

रात के दौरान मनुष्य और जानवर कम मूव करते हैं 

दिन के दौरान आपने लोगों को स्टेशनों पर इधर-उधर भागते हुए देखा होगा. कुछ लोग हद पार करते हुए सब वे से जाने की जगह रेल की पटरियों से एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म जाते हैं. यही नहीं, दिन के दौरान जानवर भी रेल की पटरी क्रॉस करते हैं और जगह को घेर लेते हैं.

रात के टाइम जानवर और इंसान दोनों का मूवमेंट धीमा हो जाता है, जिससे ट्रेन पायलट को लाभ मिलता है. उन्हें दिन के मुक़ाबले रात में हाई स्पीड ट्रेनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं की चिंता कम रहती है. इस वजह से रात में ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाती है.  

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रात में नहीं होता है मेंटेनेंस का काम 

आपने दिन के समय ट्रेन से सफ़र करते समय नोटिस किया होगा कि ट्रेन कभी-कभी रेलवे की पटरियों पर हो रहे मेंटेनेंस काम के चलते रोक दी जाती है. इस चीज़ की संभावना रात में कम होती है. रात के दौरान कंस्ट्रक्शन के काम की काफ़ी कम या शून्य संभावना होती है, जिस वजह से बिना किसी कैजुअलिटी की चिंता करते हुए ट्रेन का स्पीड पकड़ना आसान हो जाता है. 

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रात के समय सिग्नल ज़्यादा दिखाई देते हैं 

क्या आपने कभी नोटिस किया है कि एक स्टेशन में आने से पहले ट्रेन आमतौर पर अपनी स्पीड स्लो कर लेती हैं और सिग्नल का वेट करती हैं ताकि उन्हें पता चल सके कि रेल ट्रैक्स खाली हैं? ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रैक्स खाली हैं. ये सिग्नल रात में ज़्यादा दिखाई देते हैं. ड्राइवर को ‘लोटो पायलट‘ भी कहा जाता है. सिग्नल उन्हें दूर से दिखाई दे देते हैं. इसलिए ट्रेन को अपनी स्पीड स्टेशन में आने से पहले धीमी नहीं करनी पड़ती है.

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