दिल्ली में बढ़ती कोरोना मरीज़ों की संख्या को देखते हुए बुधवार को दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के परिसर में एक बड़ा COVID-19 अस्पताल बनाया जाएगा. 12,50,000 वर्ग फ़ुट का ये परिसर 22 फ़ुटबॉल मैदानों के क्षेत्रफल जितना बड़ा है. इसमें पंखे और सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं.

राधा स्वामी सत्संग ब्यास, भाटी माइंस के सचिव विकास सेठी ने HindustanTimes कहा,

अभी तक इसका इस्तेमाल प्रवासी श्रमिकों को रहने की जगह देने के लिए किया जा रहा था. इसकी रसोई में एकबार में हज़ारों लोगों का खान बन सकता है. इसलिए इसे 10 हज़ार बेड वाले भारत में सबसे बड़े COVID-19 अस्थायी अस्पताल के लिए निर्धारित किया जा सकता है.

ज़िला मजिस्ट्रेट (दक्षिण) बीएम मिश्रा ने कहा,

मिट्टी की फ़र्श को कालीन द्वारा ढकने के बाद उस पर विनाइल शीट बिछाई जाएगी ताकि गंदगी न हो. अस्पताल में 18,000 टन का एयर कंडीशनर लगवाया जाएगा, फ़िलहाल विनाइल बिछाने का काम मज़दूरों ने शुरू कर दिया है.

इसके अलावा दिल्ली सरकार मरीज़ों के लिए और भी बेड का इंतज़ाम करने की सोच रही है. इसके लिए 40 होटलों और 77 बैंक्वेट हॉल में अस्थायी अस्पताल बनाने की मांग की जा रही है, जिसमें 15,800 बेड और लगाने का विचार किया जा रहा है. साथ ही पांच सौ परिवर्तित रेलवे कोच में कोरोना संक्रमितों के लिए 8,000 बेड लगाने की बात पर भी विचार हो रहा है.

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मंगलवार को, गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया था कि सुविधा का एक बड़ा हिस्सा शुक्रवार तक चालू होगा और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) द्वारा संचालित किया जाएगा.

महरौली की आईएएस अधिकारी और सब-डिविजनल (एसडीएम) सोनालिका जिवानी ने कहा,

सुविधा को तीन वर्गों में बांटा गया है: मरीज़ों के लिए सबसे बड़ा हिस्सा, नर्सों और डॉक्टरों के लिए दूसरा और तीसरा हिस्सा कमांड के रूप में काम करेगा. मरीज़ों के लिए 116 सेक्शन में 88 बेड लगाए जाएंगे, पहले चरण में, हमारे पास गुरुवार तक 2,000 बेड तैयार होंगे. जुलाई के पहले हफ़्ते तक पूरी सुविधा तैयार हो जाएगी.
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इन्होंने आगे बताया,

एयरकंडीशन ठीक से काम न करने के चलते तीन बेड के बीच में अभी एक पंखा लगा दिया गया है. इसके अलावा हर मरीज़ के पास एक बिस्तर, एक स्टूल, एक कुर्सी, एक छोटी प्लास्टिक की अलमारी, कूड़ेदान और बर्तन होंगे और उन्हें एक टॉयलेट किट दी जाएगी. बेड या तो फ़ोल्डेबल लोहे के होंगे, या फिर हार्डबोर्ड के होंगे.

डीएम मिश्रा ने कहा,

प्रत्येक बेड के लिए पर्सनल फ़ोन और लैपटॉप चार्जिंग की सुविधा होगी. मरीज़ अपने लैपटॉप भी ला सकते हैं, लेकिन किसी भी वीडियो या ऑडियो एप्लिकेशन का इस्तेमाल हेडफ़ोन पहन ही करना होगा.
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स्वयंसेवकों द्वारा मरीज़ों के लिए खाना बनाया और परोसा जाएगा, जो उन्हें बेड पर ही दिया जाएगा. यहां एक दिन में तीन लाख लोगों के लिए खाना बन सकता है तो खाने की कोई समस्या नहीं होगी.

वहीं केंद्र में 70 पोर्टेबल टॉयलेट के साथ 600 छोटे टॉयलेट हैं, जिनमें शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए तीन विशेष टॉयलेट होंगे. प्रत्येक 10 मरीज़ों के बीच में एक टॉयलेट होगा.

पोर्टेबल टॉयलेट बनाने के लिए DUSIB द्वारा किराए पर ली गई कंपनी YLDA इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशंस हेड संजीव तिवारी ने कहा,

प्रत्येक टॉयलेट का उपयोग लगभग 200 बार किया जा सकता है. इसे दिन में दो बार और रात में एक बार साफ़ किया जाएगा.
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डीएम ने कहा,

स्वच्छता कार्य दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा किराए पर दी जाने वाली एजेंसी द्वारा किया जाएगा. सभी कार्यकर्ता पीपीई सूट पहनेंगे. हम ये सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बना रहे हैं कि श्रमिकों और मरीज़ों के बीच कम से कम बातचीत हो.

पानी की आपूर्ति के लिए, सरकार ने भूमिगत जलाशय सुविधा के लिए हाइडेंट स्थापित किए हैं जिनकी क्षमता 1.7 लाख लीटर है. पानी की गुणवत्ता अच्छी है, ये सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड दिन में पांच बार नमूनों की जांच करेगा. सभी व्यवस्थाओं को देखने के लिए डीजेबी के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बुधवार को जगह का दौरा भी किया था.

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डीएम मिश्रा ने कहा,

गेट के अंदर मरीज़ों के रिश्तेदारों को आने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अगर वो उन्हें एम्बुलेंस से ही यहां भेजें तो ये सुरक्षा की दृष्टि से काफ़ी बेहतर होगा. मगर वो इन्हें छोड़ने भी आते हैं तो गेट तक ही छोड़ने की अनुमति दी जाएगी.
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मरीज़ों के आने-जाने पर नज़र रखने के लिए अधिकारियों ने एक ई-अस्पताल ऐप बनाई है, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया जा रहा है, एक टीम केंद्र में 400 कंप्यूटरों पर काम करेगी. इंटरनेट और लैंडलाइन की की सुविधा के लिए MTNL से बात की गई है. हमने एक टेलीफ़ोन टावर फ़र्म से भी अनुरोध किया है कि वे पास में आवश्यक टॉवर स्थापित करें ताकि मरीज़ों को इंटरनेट की समस्या न हो. 

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