कोरोना वायरस के इस दौर में चारों ओर से बुरी ख़बरे सामने आ रही हैं. अभी आंख खुली ही थी कि आगरा का घटना सुनकर आंखें नम हो गईं. ख़बर के मुताबिक, आगरा में इलाज के अभाव में 145 टीबी मरीज़ों की मौत हो गई. 

rediff

पिछले 54 दिनों में हुई ये मौतें सामान्य मौतों से 6 गुना अधिक हैं. 1 से 19 जनवरी के बीच लगभग 27 टीबी मरीज़ों ने अपनी जान गंवा दी. ये आकड़ें गर्वमेंट पोर्टल से सामने आये हैं, जो कि टीबी मरीज़ों को ट्रैक करता है. पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जनवरी से 12 मई के बीच, कुल 5,817 मरीज़ों का रजिस्ट्रेशन किया गया था. इनमें से करीब 290 रोगियों को कोरोना वायरस के चलते उपचार नहीं मिला. इस दौरान पोर्टल पर 507 मरीज़ों की स्वास्थ्य जानकारी पोस्ट की गई. इनमें से केवल 7 मरीज़ ठीक हो पाये, जबकि 172 की मौत हो गई. 

deccanherald

हैरानी वाली बात ये है कि 172 में 145 लोगों की मृत्यु लॉकडाउन के दौरान हुई है. वहीं 27 मरीज़ों की मौत लॉकडाउन चालू होने से पहले 80 दिनों में हुई थी. इसके साथ ही पिछले 48 घंटों में आगरा ज़िला अस्पताल में देरी या मनाही की वजह से 2 टीबी मरीज़ दम तोड़ चुके हैं. ज़िलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने टीबी रोगियों की मौत पर टिप्पणी करते हुए कहा है, ‘ये मामला गंभीर है और टीबी रोगियों को समय पर उचित इलाज मिल सके इसके लिये गंभीर कदम उठाए जायेंगे.’ 

thehindubusinessline

इसके अलावा ज़िला टीबी अधिकारी डॉक्टर यूबी सिंह का कहना है कि टीबी मरीज़ों की इम्यूनिटी कम होती है. पूरा स्टॉफ़ कोविड मरीज़ों की देखभाल में लगा हुआ है. हांलाकि, दवाएं पहुंच रही हैं, पर ओपीडी बंद होने की वजह से मरीज़ों को दिक्कत हो रही है. 

काफ़ी दुख़ की बात है कि एक तरफ़ हम कोविड-19 के मरीज़ों को बचा रहे हैं, तो दूसरी ओर टीबी मरीज़ों को खो रहे हैं. दलीलें ठीक हैं, लेकिन क्या इलाज के अभाव में मारे गये लोग वापस ला पाओगे. 

News के आर्टिकल पढ़ने के लिये ScoopWhoop Hindi पर क्लिक करें.