Stray Dogs यानी गलियों में घूमने वाले आवारा डॉग्स. इनसे कुछ लोग चिढ़ते हैं तो कुछ इन्हें प्यार करते हैं. चूंकि ये आवारा होते हैं इसलिए इन्हें अपने खाने-पीने के ख़ुद ही जद्दोजहद करनी होती है. बहुत कम लोग होते हैं जो इनका ख़्याल रखते हैं.

चलिए आज जानते हैं केरल के एक ऐसे शख़्स के बारे में जो वहां के स्ट्रे डॉग्स के लिए किसी मसीहा से कम नहीं. वो पिछले 20 सालों से अपनी कमाई से अपने इलाके के डॉग्स का पेट भरते आ रहे हैं.

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हम बात कर रहे हैं तिरुवनंतपुरम ज़िले के Kazhakoottam इलाके में रहने वाले 70 वर्षीय मनियन पिल्लई की. इलाके के स्ट्रे डॉग्स इन्हें बहुत चाहते हैं. इन्हें देखते ही वो इनके पास चले आते हैं. अरे भई वो इनके खाने-पीने का ख़्याल जो रखते हैं. पिल्लई लगभग 2 दशकों से स्ट्रे डॉग्स को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं. इनके पास अपना कोई घर नहीं है और न ही कोई जॉब. बावजूद इसके वो डॉग्स को खाना खिलाना नहीं भूलते. वो इन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार करते हैं.

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पिल्लई जी कहते हैं-‘मैं शुरू से ही एक पशु प्रेमी रहा हूं. जब भी मैं किसी भूखे डॉगी को देखता हूं तो उसे अपनी जेब से खाना ख़रीद कर खिलाता हूं. मेरा मानना है कि धरती सिर्फ़ इंसानों कि ही नहीं बल्कि जानवरों की भी है. इंसानों को उनके साथ-साथ रहना सीखना चाहिए. मैं हमेशा खु़द का पेट भरने से पहले इनका पेट भरने की कोशिश करता हूं. ‘

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पिल्लई जी ने बताया कि वो पहले भारतीय सेना में काम करते थे. उन्होंने 10 साल तक आर्मी में काम किया. लेकिन फिर ख़ुद ही वो जॉब छोड़ दी. उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती. लेकिन इसका भी उन्हें कोई मलाल नहीं है. पिछले लॉकडाउन में उनकी जॉब चली गई थी. फ़िलहाल इनके पास न तो घर है न ही काम.

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तमाम दिक्कतों के बावजूद आज भी वो डॉग्स के खाने का इंतज़ाम किसी न किसी तरह कर ही लेते हैं. आजकल वो अपने एक दोस्त की शॉप में रहते हैं. वो कहते हैं-‘मेरा सारा दिन इनके आस-पास ही गुज़र जाता है. इन बेसहारा डॉग्स को खाना खिलाकर मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है. कभी-कभी मैं इन पर 1000 रुपये तक ख़र्च कर देता हूं. कुछ लोग मुझे ऐसा करने से रोकते हैं, डांटते हैं और डॉग्स के पीछे डंडा लेकर भागते हैं. उन्हें अपना ये रवैया बदलना चाहिए. जानवरों को भी धरती पर रहने का समान अधिकार है.’

सच में बड़े दिलवाले हैं पिल्लई जी. इन्हें हमारी पूरी टीम की तरफ से सलाम है.