उत्तर प्रदेश के नोएडा में डॉक्टरों की लापरवाही का एक शर्नामक मामला सामने आया है. इनकी लापरवाही के चलते 8 महीने की गर्भवती महिला को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. दरअसल, इस महिला का नाम नीलम था जो गाज़ियाबाद में नोएडा-गाज़ियाबाद बॉर्डर पर स्थित खोड़ा कॉलोनी में रहती थी. नीलम के पास ईएसआई कार्ड भी था.
NDTV के अनुसार, नीलम के पति विजेंद्र सिंह ने PTI को बताया,
नीलम की रात में हालत बिगड़ गई, उसे सांस की दिक्कत होने लगी तो हम उसे एंबुलेंस में लेकर रात भर जिम्स, मैक्स, ईएसआई ज़िला अस्पताल, वैशाली मैक्स हॉस्पिटल, नोएडा फ़ोर्टिस अस्पताल, शिवालिक और शारदा अस्पताल के चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी ने भी नीलम को भर्ती नहीं किया. क़रीब 13 घंटे तक दर्द बर्दाश्त करने के बाद नीलम ने हिम्मत छोड़ दी और गौतम बुद्ध नगर के पास उसने और उसके पेट में पल रहे बच्चे ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया.
विजेंद्र ने आगे बताया,
नीलम का इलाज शुरू से ही शिवालिक में चल रहा था, उसने भी भर्ती करने से मना कर दिया. उन्होंने बताया कि सांस में दिक्कत होने की वजह से और खोड़ा कंटेंटमेंट ज़ोन है इसलिए किसी भी हॉस्पिटल ने नीलम को एडमिट नहीं किया..
इसके बाद नीलम के पति ने गौतम बुद्ध नगर के डीएम सुहास एल वाई को पूरा मामला बताया, डीएम ने तुरंत सख़्त कार्रवाई के आदेश देते हुए, नीलम की मौत के मामले की जांच अपर ज़िलाधिकारी मुनींद्र नाथ उपाध्याय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी दीपक ओहरी को सौंपी.
नीलम के केस में गौरतलब बात ये है कि जिम्स और शारदा हॉस्पिटल, जो कोविड हॉस्पिटल हैं. इन दोनों ने भी नीलम को एडमिट नहीं किया. शारदा हॉस्पिटल के स्टाफ़ का कहना था कि उनके पास मरीज़ के लिए बेड नहीं है.
आपको बता दें, 25 मई की रात भी इलाज के लिए एक पिता ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अस्पतालों के चक्कर काटता रहा, लेकिन किसी ने उसके नवजात बच्चे को एडमिट नहीं किया और उसने भी दम तोड़ दिया. ज़िला प्रशासन ने इस मामले की जांच कर दो निजी अस्पतालों को लापरवाही के लिए कसूर वार ठहराया था.
अगर इसी तरह हॉस्पिटल्स बेड का बहाना बनाते रहेंगे तो बेचारे मरीज़ कहां जाएंगे?
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