स्कूल एक ऐसी संस्था होती है, जहां स्टूडेंट्स को सही ज्ञान के साथ-साथ न सिर्फ़ किताबी शिक्षा दी जाती है, बल्कि उनकी नैतिकता का निर्माण भी किया जाता है. मगर अफ़सोस कि शिक्षा के अलावा अब स्कूलों में बहुत कुछ हो रहा है. अब वो गुरु-शिष्य वाली परंपरा भी नहीं रही, जिसमें बच्चों को उनके गुरु बड़े प्यार से पढ़ाया करते थे. बच्चे हंसी-खुशी स्कूल जाया करते थे. मगर अब हालात बदल गये हैं. स्टूडेंट्स अब स्कूल और टीचर के नाम से ही थर-थर कांपने लगते हैं. अब पढ़ाई में कमज़ोर छात्रों को कुछ टीचर द्वारा पीटा जाता है, प्रताड़ित किया जाता है. जब स्टूडेंट्स की सहनशीलता जवाब दे देती है, तो परिणाम मौत के रूप में नज़र आता है. कुछ टीचरों की गलतियों के कारण आज बहुत से स्टूडेंट्स को अपनी जान गंवानी पड़ रही है.

आखिर क्यों स्टूडेंट्स को सही शिक्षा, गाइडलाइन और प्रेरणा देने के बजाय उन्हें परेशान किया जाता है, उनका शोषण किया जाता है. कुछ टीचरों की गलती की वजह से हज़ारों निर्दोष बच्चों की ज़िंदगियां बर्बाद हो गई हैं. काश ऐसा नहीं किया जाता, तो कई निर्दोषों की ज़िंदगी को बचाया जा सकता था. इन्हीं निर्दोष स्टूडेंट्स में से एक नाम है संप्रित बनर्जी, जिसने अपने टीचर के आतंक से त्रस्त होकर आत्महत्या करना ही मुनासिब समझा.

DB

दुर्भाग्य से रोज़-रोज़ अपने ही अकाउंट टीचर से गंभीर तरीके से अपमानित और प्रताड़ित होने के बाद संप्रित बनर्जी ने फांसी लगा ली. उसकी ग़लती बस इतनी थी कि अर्ध-वार्षिक परीक्षा में उसका प्रदर्शन खराब रहा. उसके टीचर के दुर्व्यवहार ने संप्रित को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया.

मृतक संप्रित की मां अपर्णा के मुताबिक, आरोपी टीचर मेरे बेटे को मारा करते थे, उसे क्लास के सामने कान पकड़कर खड़ा करवाते थे. अभी मेरा बेटा नाबालिग था, जो को-एडूकेशन स्कूल में पढ़ता था. उसे बहुत ही शर्मसार और अपमानित किया जाता था. वो अपने टीचर के पनिशमेंट से इतना ज़्यादा आतंकित हो चुका था कि उसने बीते बुधवार से स्कूल जाना छोड़ दिया था, क्योंकि शुक्रवार को उसकी अकाउंट की क्लास होती है.
इसके अलावा, संप्रित के क्लासमेट्स ने एक और घटना का ज़िक्र करते हुए बताया कि एक बार टीचर ने संप्रित को बुरी तरह से सिर्फ़ इसलिए पीटा था, क्योंकि उसने बस एक सवाल किया था कि उसके मार्क्स इतने कम कैसे आए, जबकि उसके अन्य साथियों ने भी उतना ही जवाब लिखा था, फिर भी उनके मार्क्स ज़्यादा आए.

एक स्टूडेंट के मुताबिक, टीचर ने उसे सबके सामने थप्पड़ मारा था और उसे क्लास से बाहर निकाल दिया था. उसी के बाद से संप्रित अपमानित महसूस करने लगा और वो अपसेट रहने लगा था.

सार्वजनिक रूप से अपमानित होने के बाद संप्रित ने अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखा था- Gd byee. हालांकि, इस पोस्ट के बाद किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो सदा के लिए चला जाएगा.

गौरतलब है कि मृतक Paschim Putiary स्थित अपने घर के बेडरूम में पंखे से लटका हुआ मिला. हालांकि, अभी तक किसी तरह का सुसाइड नोट नहीं मिला है. मौत की वजह एकदम साफ़ है. अगर मृतक को इस तरह से ज़लील नहीं किया जाता, उसे सबके सामने बुरी तरह से अपामनित नहीं किया जाता, तो शायद वो आत्महत्या के बारे में सोचता भी नहीं.

ऐसा नहीं है कि टीचर की प्रताड़ना के बाद किसी स्टूडेंट के आत्महत्या करने की ये पहली घटना सामने आई है. ऐसी घटनाएं आये दिन होती रहती हैं, मगर सभी मूकदर्शक बने रहते हैं. आखिर क्यों टीचरों के पढ़ाने का तरीका बदल गया है?आखिर क्यों बच्चों को पढ़ाने का उन्हें सिर्फ़ एक ही तरीका दिखता है- मारना, पीटना और अपमानित करना. क्या मार-पीट कर और अपमानित कर बच्चों को पढ़ाने से वे पढ़ना सीख जाएंगे? क्या अब समय नहीं आ गया है कि टीचर समुदाय एक बार अपने तरीकों पर विचार करे और गुरु-शिष्य की आदर्श परंपरा को कायम रखने की कोशिश करे?