कोरोना से लड़ रहे वॉरियर्स भी कोरोना का शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स), दिल्ली के हेल्थ वर्कर्स भारी मात्रा में कोरोना वायरस पॉज़िटिव पाए जा रहे हैं. एम्स के सिर्फ़ जय प्रकाश नारायण ट्रॉमा सेन्टर को कोविड फ़ैसिलिटी में तब्दील कर दिया गया है.
इसके बावजूद रोज़ हेल्थकेयर वर्कर्स कोरोना का शिकार हो रहे हैं. ये बढ़ती तादाद डॉक्टर्स के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है. The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 195 हेल्थवर्कर्स कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, इनमें 1 एमबीबीएस छात्र, 3 रेसिडेंट डॉक्टर, 8 नर्स और 5 मेस वर्कर शामिल हैं. बीते 2 दिन में ही 50 वर्कर्स की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है.
‘हम वायरस को लेकर ज़्यादा चिंतित नहीं हैं. सरकार और एम्स एडमिनिस्ट्रेशन का रवैया हमारे लिए परेशानी का सबब है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो मरीज़ों के इलाज के लिए हेल्थकेयर वर्कर्स कम पड़ जाएंगे. हम मार्च से ही हॉस्टल की सुरक्षा, साफ़-सफ़ाई में बरती जा रही असावधानियों, क्वारंटीन प्रोटोकॉल के न होने और टेस्टिंग फ़ैसिलिटी के बारे में लिख रहे हैं और लड़ रहे हैं.’
एम्स के हेल्थवर्कर्स के पास क्वालिटी के N95 मास्क का न होना और PPE Kits के कुछ Equipment भी नहीं हैं.
हमें जो N95 मास्क दिए जा रहे हैं वो Ministry of Home and Family Welfare के सेफ़्टी स्टैन्डर्ड्स के अनुसार ही नहीं हैं, अंतर्राष्ट्रीय स्टैन्डर्ड तो भूल जाइए. हम आवाज़ उठाते हैं तो हमें उच्च अधिकारियों से FIR की और करियर ख़राब करने की धमकियां मिलती हैं
-डॉ. श्रीनिवास
कुछ दिनों पहले आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम एक डॉ. सुधाकर राव ने डॉक्टर्स के लिए N95 मास्क न होने पर आवाज़ उठाई तो उन्हें निलंबित कर दिया गया. इसके बाद पुलिस ने उन्हें सबके सामने मारा और फिर मेंटल हॉस्पिटल भेज दिया.
ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आख़िरी संदेश में कहा था कि देश में प्रतिदिन N95 मास्क और पीपीई किट्स बनाये जा रहे हैं.
ग़ौरतलब है कि कुछ दिनों पहले दिल्ली में कोरोना से पहली नर्स की मौत हुई. नर्स अम्बिका के सहकर्मियों का आरोप है कि नर्सों को पीपीई किट्स का दोबारा इस्तेमाल करने पर मजबूर किया जा रहा था.