दरअसल, उर्दू के मशहूर शायर और साहित्य अकैडमी अवॉर्ड विजेता बशीर बद्र ने सन 1969 में ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ से उर्दू में एमए जबकि 1973 में उर्दू ग़ज़ल में पीएचडी की थी. लेकिन मुशायरों और इवेंट्स की शान रहे शायर बशीर बद्र कभी अपनी डिग्री लेने यूनिवर्सिटी जा ही नहीं पाए. अब बद्र को पूरे 48 साल बाद पीएचडी की डिग्री मिली है.
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता, शैफ़े किदवई ने बताया कि, बशीर बद्र Alzheimer’s से पीड़ित हैं. इसलिए यूनिवर्सिटी ने उनके घर पर ही डिग्री भिजवाने का निर्णय लिया. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बशीर साहब की पत्नी के प्रयत्नों के बाद ही ये डिग्री घर पहुंचाई गई.
बात दें कि 83 वर्षीय बशीर बद्र अब मुशायरों में नहीं जाते. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर में बशीर साहब ने डिग्री को किसी बच्चे कि तरह से सीने से लगा लिया.
बेहद सरल और आसान शब्दों में अपनी बात रखना अगर सीखना है तो ये हम बशीर साहब से सीख सकते हैं.