राजस्थान के गांधीनगर जिले के छोटे-छोटे बच्चों ने एक ज़रूरतमंद लड़की की मदद करने का जो नायाब तरीका निकाला है, उसे जानकर आपका भी दिल गदगद हो जाएगा. छोटे-छोटे बच्चों ने जो महान काम किया है, वो हम सबके लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. सच कहूं, तो अगर आप किसी की दिल से मदद करना चाहते हैं, तो आर्थिक बैकग्राउंड और उम्र कुछ मैटर नहीं करता.
दरअसल, कक्षा 2 में पढ़ने वाले बच्चों के समूह की नज़र स्कूल के एक फंक्शन में शारीरिक रूप से अक्षम लड़की पर पड़ी. जब बच्चों ने उस लड़की की स्थिति देखी, तो उनसे मदद किये बगैर रहा नहीं गया. इसलिए उन बच्चों ने उसकी मदद के लिए अपनी-अपनी पॉकेट मनी बचा-बचाकर एक व्हीलचेयर खरीदने की सोची.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दस साल की बोलने और सुनने में दुर्बल ऊषा एक गरीब कृषि मजदूर की बेटी है. एक दिन वो श्री गांधीनगर में Stepping Stone English Modern School में फंक्शन देखने गई थी. ऊषा सरकारी स्कूल में पढ़ती है और फंक्शन में वो अपने एक परिचित के साथ गई थी.
कुछ दिनों बाद जब क्लास 2 की स्टूडेंट ख्याति ने शारीरिक रूप से विकलांग एक औरत को दो पहियों वाली स्कूटर को चलाते हुए देखा, तो तुरंत उसे ऊषा का ख्याल आया. उसके दिमाग में अचानक सवाल आया कि आखिर ऊषा क्यों नहीं ऐसी हो सकती. उसने अपने दादा से ये पूरा माजरा बताया. उसके दादा ने सलाह दी कि अगर वह लड़की मदद लेना चाहती है, तो अपनी पॉकेट मनी का इस्तेमाल कर उसकी मदद की जा सकती है.
उसके बाद क्या था, छोटी बच्ची ख्याति ने इस विचार को अपने क्लास के 25-30 बच्चों के सामने में रखा और पूछा कि क्या वो सभी इस नेक काम में शामिल होना चाहते हैं? विचारशील छात्र दिव्यांग ऊषा की मदद को तैयार हो गये. सभी ने उषा के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए सौ से लेकर हज़ार रुपये तक अपनी पॉकेट मनी से जमा किये. स्कूल प्रशास ने भी इस पहल की सराहना की.
स्कूल के डायरेक्टर विकास शर्मा ने कहा, हम लोग ये देखकर काफ़ी खुश थे कि ये छोटे-छोटे बच्चे इस नेक और महान काम के लिए अपनी पॉकेट मनी इकट्ठा कर रहे थे. हमने भी छोटा सा योगदान दिया है.