मुज़फ़्फ़रपुर के एसकेएमसीएच में कई पत्रकार ‘चमकी’ बुखार पर रिपोर्टिंग करने गए थे. कुछ ने सरकार को बदहाली के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए जायज़ सवाल किए, तो कुछ वहां की बदहाली का ज़िम्मा डॉक्टरों पर मढ़ कर चलते बने. 

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न्यूज़ चैनल आज तक की अंजना ओम कश्यप भी ICU में घुसकर रिपोर्टिंग कर रही थी. उन्होंने वहां काम कर रहे इकलौते डॉक्टर के काम में न सिर्फ़ बाधा डाली पर सारे हालातों का ज़िम्मेदार उन्हें ही ठहरा दिया. 

इसके बाद ट्विटर पर कई लोगों ने उन्हें उनकी भावशून्य पत्रकारिता के लिए झाड़ लगाई. ट्विटर पर #ShameOnYouAnjana ट्रेंड भी करने लगा. 

जिस डॉक्टर के साथ अंजना ओम कश्यप ने ‘बद्तमीज़ी’ की थी, उन्होंने अब इस पूरे वाकये पर अपना मत रखा है.  


Medicos United नामक फ़ेसबुक पेज पर एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें डॉ. के.के.दास बड़ी ही शालीनता से उस पूरी घटना पर बात कर रहे हैं. 

‘जब डॉक्टर ट्रीटमेंट कर रहे होते हैं, बच्चे देख रहे होते हैं, जब मीडिया यहां पर एकाएक बिना बताए घुस जाती है, तो यूं समझिए कि जो ट्रीटमेंट है, मीडिया उसमें Interfere कर रही है. उसी दिन आपने देखा होगा कि वो ICU में अचानक घुसती हैं और 10 मिनट तक मेरे साथ बहस कर रही हैं. वो 10 मिनट में Patient के Treatment में Delay हो गया. वो कह रही हैं Patient को कहां रखेंगे, कहां Shift करेंगे, Already जो हम करने जा रहे थे. हमारी Sister आती है, उस बच्चे को Attend करना चाहती है लेकिन वो करने नहीं देती है. रिज़ल्ट ये होता है कि डॉक्टर Pressurize होते हैं. हम जो कर रहे हैं, वो सही कर रहे हैं या ग़लत कर रहे हैं. हम अगर सही भी कर रहे होते हैं, तो हम सोचने लगते हैं कि ऐसा तो नहीं है कि हम जो कर रहे हैं वो मीडिया में दिख रहा है कि हम ग़लत कर रहे हैं. परिणाम ये होता है कि हम डरे-डरे ट्रीटमेंट करते हैं. उसने इस चीज़ को ऐसे दिखाया कि Patient के Treatment के लिए वो डॉक्टर से झगड़ ली.’ 

डॉ. दास ने आगे कहा, 


‘ये अच्छा हुआ कि लोग मेरे Favor में आए और उन्हें भी यही दिखा कि पूरी घटना को ग़लत तरीके से दिखाया गया है. अगर इसी चीज़ को लोग Negative Way में ले लेते, तो ये हो जाता कि डॉक्टर तो ग़लत कर रहे थे. डॉक्टर ट्रीटमेंट ही नहीं कर रहे थे, मगर ऐसा तो था नहीं. समझ नहीं आता कि मीडिया हमेशा नेगेटिव ही क्यों दिखाना चाहती है?’  

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डॉ. दास ने मीडिया से भी एक बहुत ही अहम बात कही,


‘मीडिया से मैं Request करूंगा कि हर चीज़ का Negative, Positive दोनों दिखाइए. दिन-रात डॉक्टर काम करते हैं, 18 घंटा, 36 घंटा काम करते हैं. आप 4 घंटा-6 घंटा रह कर देखो, डॉक्टर के साथ तब आपको पता चलेगा आपको कि हक़ीक़त क्या है.’   

डॉ. दास ने एसकेएमसीएच की व्यवस्था पर भी अपनी बात रखी,


‘Encephalitis का जो Epidemic हुआ था, उसमें ये कहना ग़लत है कि डॉक्टर ट्रीटमेंट नहीं करते या मेहनत नहीं करते. पूरी मेहनत के साथ, पूरी ईमानदारी के साथ डॉक्टर लगे हुए हैं. सारी सुविधाएं हैं यहां पे. दिन-रात मेहनत कर के काफ़ी बच्चे बचे भी हैं और बचाए भी जा रहे हैं. More Than 90% Cases Low Income Families से Belong करते हैं, ये कहना ग़लत नहीं होगा. अब इस Case में Government की भी Responsibility बनती है कि किस तरह से इसको Prevent किया जाए. Encephalitis नाम की जो बीमारी चली, उससे बचाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जाए, ये तो Government की Responsibility बनती है. हमारे पास जो केस आते हैं, उसमें मैंने देखा कि Attack आने पर ही जो बच्चे आ जाते हैं, उनमें Recovery का Chance ज़्यादा होता है. जो थोड़ा लेट हॉस्पिटल पहुंचते हैं, या इधर-उधर के चक्कर में फंस जाते हैं, या जिनका घर से हॉस्पिटल का डिस्टेंस ज़्यादा है, उसमें Prognosis पूरा होगा.’  

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पूरे वीडियो में डॉ. दास ने जिस शालीनता और सौम्यता से सारी बातें रखी, वो एक उदाहरण है हर उस पत्रकार के लिए, जिसे लगता है कि ‘चीखना’ ही पत्रकारिता है.