Female Genital Mutilation या महिलाओं का ख़तना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उद्देशय महिलाओं और लड़कियों की Sexual Freedom पर अंकुश लगाना है. दुनियाभर में हर साल सैंकड़ों महिलाओं और बच्चियों की इस वजह से मृत्यु हो जाती है.
जो बच जाती हैं, इस प्रथा से जुड़ी दर्दनाक यादें ताउम्र उनके ज़हन में रह जाती हैं. पिछले साल इस ‘कुप्रथा’ को रोकने की मांग को लेकर मासूमा रानाल्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला ख़त लिखा था.
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कुप्रथा पर की गई PIL पर संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दाऊदी बोहरा मुस्लिम संप्रदाय की महिलाओं का ख़तना, संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है.
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविल्कर और जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की बेंच के शब्दों में,
Female Genital Mutilation, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और ये बच्चियों को मानसिक आघात पहुंचाता है.
चीफ़ जस्टिस मिश्रा के शब्दों में,
जब हम महिलाओं के हक़ की बात कर रहे हैं, तो इसका ठीक उल्टा क्यों करें?
केन्द्र सरकार ने अपीलकर्ताओं का समर्थन जताया है.
Attorney General के.के.वेनुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महिलाओं का ख़तना 42 देशों में प्रतिबंधित है, जिसमें से 27 अफ़्रीकी देश हैं.
ख़तना करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है. इस मामले में सुनवाई अभी जारी है, हम आपको इससे जुड़ी जानकारी देते रहेंगे.