कोरोना की दवा ‘कोरोनिल’ के भ्रामक प्रचार के आरोप में योग गुरु बाबा रामदेव के समेत 5 लोगों के ख़िलाफ़ जयपुर में शुक्रवार को FIR दर्ज कराई गई. इसके अलावा चंडीगढ़ में भी बाबा रामदेव व पतंजलि आयुर्वेदा के ख़िलाफ़ क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है.

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वहीं चंडीगढ़ में ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण परिषद’ के महासचिव बिक्रमजीत सिंह द्वारा बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के ख़िलाफ़ सेक्शन 275 (मिलावटी दवाओं की बिक्री), सेक्शन 276 (अलग दवा की बिक्री करना), सेक्शन 468 (धोखाधड़ी की कोशिश), भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या की कोशिश) और अधिनियम 1954 की धारा 4 (ड्रग्स व मैजिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) के केस दर्ज कराए हैं. इस मामले की सुनवाई सोमवार को चंडीगढ़ की डिस्ट्रिक कोर्ट होगी.  

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बीते मंगलवार को कोरोना वायरस की दवा ‘कोरोनिल’ की लॉन्चिंग के बाद से ही बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि सवालों के घेरे में है. ‘कोरोनिल’ दवा को लेकर अब बाबा रामदेव और 4 अन्य के ख़िलाफ़ जयपुर के ज्योतिनगर थाने में FIR दर्ज कराई गई है.  

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जयपुर में दर्ज FIR में बाबा रामदेव और बालकृष्ण के अलावा वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर और निदेशक डॉ. अनुराग तोमर को आरोपी बनाया गया है. इन सभी पर कोरोना वायरस की दवा के तौर पर ‘कोरोनिल’ के भ्रामक प्रचार करने के आरोप में केस दर्ज कराया गया है.  

बता दें कि पतंजलि ने जयपुर के ‘NIMS अस्पताल’ में ही ‘कोरोनिल’ दवा का परीक्षण करने का दावा किया था. इस दौरान NIMS के 100 मरीज़ों पर इस दवा का ट्रायल किया गया था. इसी के आधार पर बाबा रामदेव ने कोरोना मरीज़ों के 100 फ़ीसदी ठीक होने का दावा किया था.  

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इंडिया टुडे से बातचीत में NIMS के अध्यक्ष व चांसलर डॉ. बीएस तोमर ने बताया कि, हमारे पास मरीज़ों पर परीक्षण करने के लिए सभी आवश्यक अनुमति थी. परीक्षण से पहले CTRI से अनुमति ली गई थी, जो ICMR का एक निकाय है. मेरे पास इसके दस्तावेज हैं. हमने इस संबंध में 2 जून को राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया था.  

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डॉ. बीएस तोमर ने आगे कहा, इस दौरान 100 मरीज़ों पर इस दवा का ट्रायल किया गया था. परिणाम के तहत 3 दिनों में 69% मरीज़ ठीक भी हुए. जबकि 7 दिनों में 100% मरीज़ ठीक हो गए थे. हालांकि, ‘कोरोनिल’ को इम्युनिटी बूस्टर या दवा के रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए.