Footballers at Higher Risk Of Dementia: एक नए अध्ययन के मुताबिक फ़ुटबॉल खिलाड़ियों को अल्ज़ाइमर रोग और अन्य प्रकार के मनोभ्रंश का ख़तरा अधिक होता है. हालांकि, गोलकीपरों को इस तरह के तंत्रिका संबंधी विकारों के प्रति कुछ हद तक प्रतिरक्षित दिखाया गया है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/DW-logo-2-1-1.webp)
मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, सामान्य आबादी की तुलना में बड़ी प्रतियोगिताओं या टीमों में खेलने वाले फ़ुटबॉल खिलाड़ियों में डिमेंशिया (Footballers at Higher Risk Of Dementia) विकसित होने की संभावना अधिक होती है.
ये भी पढ़ें: फ़ुटबॉल खेलते हैं तो इसे ज़रूर पढ़ें, फ़ुटबॉल खेलने से पुरुषों में कैंसर होने का है ख़तरा
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/65020384_605.jpg?w=1024)
डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे याददाश्त लगभग ख़त्म हो जाती है. डिमेंशिया के शुरुआती चरण भूलने की बीमारी से शुरू होते हैं, व्यक्ति समय का क्रम भूलने लगता है और परिचित जगहों को याद नहीं रख पाता है. चिंता और अवसाद भी शुरुआती संकेत के रूप में काम कर सकते हैं, ख़ासकर युवा रोगियों के लिए.
इस नए शोध का विवरण मेडिकल जर्नल द लांसेट में प्रकाशित हुआ है. इसने 1924 और 2019 के बीच 56,000 से अधिक फ़ुटबॉल के अलावा अन्य खेलों के खिलाड़ियों के साथ 6,000 से अधिक शीर्ष-स्तरीय स्वीडिश पुरुष फ़ुटबॉल खिलाड़ियों के मेडिकल रिकॉर्ड की तुलना की.
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/WhatsApp-Image-2023-03-17-at-7-22-39-PM1679062978-0.jpeg)
स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया कि, फ़ुटबॉलरों को नियंत्रण समूह की तुलना में अल्ज़ाइमर रोग और अन्य प्रकार के मनोभ्रंश विकसित होने की संभावना डेढ़ गुना अधिक थी. कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के पेटर उएडा ने इस शोध का नेतृत्व किया. उनका कहना है कि यह दर्शाता है कि, बड़े पुरुष खिलाड़ी डिमेंशिया विकसित करने के “महत्वपूर्ण जोखिम” पर हैं.
इस अध्ययन के मुताबिक क्योंकि गोलकीपरों को शायद ही कभी गेंद को सिर से मारने की आवश्यकता होती है, वे इसके प्रति प्रतिरक्षित हैं.
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/brain.webp)
“गोलकीपर को ख़तरा कम”
पेटर उएडा ने कहा,
एक परिकल्पना यह है कि बार-बार बॉल को सिर से मारना खिलाड़ियों को अधिक जोखिम में डालते हैं और मैदान पर गोलकीपरों और खिलाड़ियों के बीच के अंतर को देखते हुए इस सिद्धांत का समर्थन करता है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के मनोरोग प्रोफ़ेसर गिल लिविंगस्टन ने कहा,
उच्च गुणवत्ता वाले शोध ने “ठोस सबूत” जोड़े हैं कि जिन फ़ुटबॉलरों के सिर गेंद के संपर्क में ज़्यादा आते हैं उनमें डिमेंशिया का ख़तरा अधिक होता है.
लिविंगस्टन भी अनुसंधान में शामिल थे. उन्होंने कहा,
हमें लोगों के सिर और दिमाग़ की रक्षा के लिए काम करते हुए खेलते रहने की ज़रूरत है.
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/New-Project-2023-03-17T062748.973-768x576-1.webp)
अध्ययन में एएलएस जैसे मोटर न्यूरॉन रोगों का कोई बढ़ा हुआ जोखिम नहीं पाया गया और फ़ुटबॉलर्स में पार्किंसंस रोग का जोखिम भी कम पाया गया. हालांकि, पेटर उएडा ने आगाह किया कि अवलोकन संबंधी अध्ययन ये दिखाने में सक्षम नहीं है कि फ़ुटबॉल खेलने से सीधे तौर पर डिमेंशिया होता है और इसके निष्कर्षों को महिला, शौकिया या युवा फ़ुटबॉल खिलाड़ियों पर लागू नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा,
खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए और अधिक उपाय किए जाने के लिए अब अधिक से अधिक आवाज़ें उठ रही हैं और हमारा शोध ऐसे जोखिमों को सीमित करने में निर्णायक रूप से मदद कर सकता है.
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/Elite-soccer-players-have-higher-risk-of-dementia-study-shows.jpg?w=1024)
ये भी पढ़ें: Football History: जानिए फ़ुटबॉल को कैसे मिला ये नाम और कैसे हुई इस खेल की शुरुआत
सिर में चोट का विवाद
हाल के वर्षों में खेल के दौरान सिर की चोटों और खेल करियर के अंत के बाद उनके दुष्प्रभावों पर बहुत शोध हुआ है. विशेष रूप से रग्बी और अमेरिकी फ़ुटबॉल पर काफ़ी शोध किया गया है. पिछले साल ग्लासगो विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अध्ययन में पाया गया कि पूर्व रग्बी खिलाड़ियों में सामान्य आबादी की तुलना में मोटर न्यूरॉन रोग विकसित होने की संभावना 15 गुना अधिक थी.
![Footballers at Higher Risk Of Dementia](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/football_gettyimages-1304786960.jpg)
नेशनल फ़ुटबॉल लीग के 111 मृत पूर्व खिलाड़ियों के 2017 के बॉस्टन विश्वविद्यालय के अध्ययन में जिन्होंने अपना दिमाग़ दान किया था, उनमें क्रोनिक ट्रॉमैटिक एन्सेफ़ैलोपैथी (सीटीई) जैसी बीमारियों के सबूत थे. सीटीई सिर की कई चोटों के बाद विकसित होता है और व्यवहारिक परिवर्तनों के साथ दीर्घकालिक डिमेंशिया का कारण बन सकता है.
डिमेंशिया से बचने के सात उपाय
1. वज़न घटाना
मोटापा डिमेंशिया विकसित होने का एक बड़ा कारण है. इसलिए वज़न कम करने और नियमित व्यायाम करने से रक्त संचार सुधारने से मेटाबॉलिज़्म बेहतर होगा और डिमेंशिया से भी बचाव होगा.
![weight loss](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/weight-loss.webp?w=1024)
2. हेल्दी खाना
ऐसा खाना जिसमें सब्ज़ियों और सलाद से मिलने वाले फ़ैट की प्रचचुरता हो. ख़ून की नलियों पर अच्छा असर डालता है. इससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का ख़तरा कम हो जाता है और बाद में डिमेंशिया होने की संभावना भी हाई कोलेसट्रॉल वाले लोगों से कम होती है.
![healthy diet](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/healthy-food.jpg?w=1024)
3. चहल कदमी ज़रूरी
शारीरिक गतिविधियां ख़ून की नली को सक्रिय रखती हैं और डिमेंशिया के ख़िलाफ़ काम करती हैं. सक्रिय रहना सीधे तौर पर तंत्रिका तंत्र पर अच्छा असर डालता है. यही तंत्र पूरे शरीर पर नियंत्रण रखता है और याददाश्त को भी सुरक्षित रखता है.
![physical activity](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/Fitness-Goals.jpg?w=1024)
4. बुराइयों से दूरी
सिगरेट पीने वालों को पता होगा कि इसे छोड़ना कितना कठिन है लेकिन ये सच है कि निकोटिन तंत्रिका तंत्र के लिए कितना ख़तरनाक है. इससे रक्त संचार प्रभावित होता है क्योंकि ख़ून कम से कम ऑक्सीजन दिमाग़ तक पहुंचाने लगता है. जाहिर है इससे डिमेंशिया का ख़तरा बढ़ जाता है.
![stop smoking](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/0fccff.webp?w=1024)
5. शराब को न
अल्कोहल तो है ही नर्व एजेंट यानि इसकी ज़्यादा मात्रा सीधे दिमाग़ पर ही बुरा असर डालती है. कम मात्रा में लेने पर भी ये डिमेंशिया का ख़तरा बढ़ाती ही है. इससे शरीर को आवश्यक अंगों को भी नुकसान पहुंचता है.
![no to alcohol](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/1492327132-alcohol.jpg)
6. ब्लड प्रेशर पर नज़र
डिमेंशिया से बचने का एक तरीक़ा ब्लड प्रेशर को सीमा में रखना है. खेलकूद करने से ब्लड प्रेशर कम रहता है. इससे बात न बने तो दवा लेकर भी बीपी को स्वस्थ रेंज में रखा जा सकता है. डॉक्टर से संपर्क करें.
![blood pressure Control](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/blood-pressure-numbers.webp?w=1024)
7. मानिसक कसरत
किसी भी तरीक़े से अपने दिमाग़ को सक्रिय रखना ज़रूरी है. इसके लिए हमेशा पहेलियां बुझाते या नई चीज़ें रटना ही ज़रूरी नहीं. समाज में लोगों से संपर्क बनाए रखना, मिलना-जुलना और बातें करना भी ज़रूरी है. इससे याददाश्त दुरुस्त रहती है और रिश्ते भी बने रहते हैं.
![mental activity](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/03/hands-putting-together-puzzle-head-768.jpg)
इन उपायों को अपनाकर डिमेंशिया के ख़तरे को कम किया जा सकता है.