भारत में संसद के दो सदन होते हैं एक लोकसभा और दूसरा राज्यसभा. संसद के इन्हीं दो सदनों पर सारा कार्यभार टिका होता है. इसके कुछ नियम-क़ानून तय किए जाते हैं, जो देश के हित के लिए होते हैं. भारत की संसद के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप पाकिस्तान की संसद के बारे में जानते हैं कि इनमें क्या सदन होते हैं? तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में भी दो सदन होते हैं, लेकिन वहां के नियम कुछ अलग हैं. अब यहां की व्यवस्था क्या है और किस तरह से सदन की कार्रवाई होती है? इनके सबके बारे में जानते हैं.
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पाकिस्तानी संसद से जुड़े ज़रूरी तथ्य
1960 में पाकिस्तान की संसद कराची में थी, जिसे बाद में इस्लामाबाद में शिफ़्ट कर दिया गया. इसे मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है. पाकिस्तान में राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और वो इसके सर्वोच्छ पदाधिकारी होते हैं, जबकि भारत में राष्ट्रपति संसद का हिस्सा नहीं होता है.
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कैसा है पाकिस्तान का स्ट्रक्चर?
भारत की तरह ही पाकिस्तान में भी दो सदन होते हैं, जिसमें निचले सदन यानी नेशनल असेंबली को कौमी असेंबली और उच्च सदन यानी सेनेट (Senate) को आइवान-ए बाला कहा जाता है. तो वहीं भारत में निचले सदन को लोकसभा और उच्च सदन को राज्य सभा कहा जाता है. पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली भारत की लोकसभा की तरह ही कार्यभार को संभालती है.
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कौमी असेम्बली (नेशनल असेम्बली) क्या है?
पाकिस्तान की कौमी असेम्बली भारत की लोकसभा की तरह ही होती है. इसमें कुछ 342 सीटें होती हैं, जिनमें 242 सीट के सदस्य चुनाव के ज़रिए चुने जाते हैं बाकी बची 70 सीटें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित होती हैं. इसमें जनता द्वारा सद्स्यों का चुनाव होता है और चुने गए सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है. इसमें सत्तापक्ष के नेता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं.
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आइवान-ए बाला क्या है?
पाकिस्तान का उच्च सदन यानी आइवान-ए बाला भारत के राज्यसभा जैसा होता है. इसे भंग नहीं किया जाता है, बस इसके सदस्य बदलते रहते हैं, जिनका कार्यकाल 6 साल का होता है. इसके अधिकार नेशनल असेंबली से अलग और विशेष होते हैं. संविधान में सेनेट भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है.
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आपको बता दें, पाकिस्तानी सेनेट के सदस्यों को प्रांतीय असेंबलियों के सदस्य चुनते हैं और निचले सदन राष्ट्रीय असेंबली के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा होता है.